
भारत एक ऐसा देश है जहाँ गन्ना की किस्मत से जुड़े कई किसान हैं। गन्ने की किस्मत का साथ देने वाला एक अहम हिस्सा है चीनी कारखाने, जहाँ से हम सभी चीनी खाते हैं। यहाँ, हम बात करेंगे भारत के पहले चीनी कारखाने के बारे में, जिसका नाम है ‘बरबिल चीनी कारखाना’।
बरबिल चीनी कारखाना का इतिहास
बरबिल चीनी कारखाना, ओडिशा राज्य में स्थित है और यह भारत का पहला चीनी कारखाना है जिसकी शुरुआत 1933 में हुई थी। इस कारखाने की स्थापना श्री परमेश्वर झाला द्वारा की गई थी। यह कारखाना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यहाँ पर पहली बार भारत में चीनी उत्पादन की शुरुआत हुई थी।
बरबिल चीनी कारखाना की स्थापना
बरबिल चीनी कारखाना की स्थापना ओडिशा के एक छोटे से गाँव में की गई थी। इसके पीछे का उद्देश्य था कि किसानों को गन्ने की कटाई के बाद उसकी सारी मूल्यवर्धन को यहीं पर कर सकें। बरबिल क्षेत्र का मौसम और मिट्टी भी गन्ने के उत्पादन के लिए उपयुक्त था।
कारखाने का विकास
बरबिल चीनी कारखाना का विकास काफी तेजी से हुआ। इसके बाद, 1951 में इसे सरकार के अधिग्रहण में लिया गया और इसका नाम ‘बरबिल सुगर कॉर्पोरेशन’ रखा गया। इसके बाद, 1997 में इसका नाम फिर से ‘बरबिल चीनी कारखाना’ किया गया और आज यह भारत के एक महत्वपूर्ण चीनी कारखाने में से एक है।
चीनी कारखाने का उत्पादन
बरबिल चीनी कारखाना में गन्ने की कटाई के बाद उसका शुगर निकाला जाता है। इसके बाद, यह शुगर पैकेजिंग के लिए तैयार किया जाता है और अंत में बाजार में भेजा जाता है। इसके अलावा, इस कारखाने में गन्ने से निकलने वाली बागगूज़ भी बनाई जाती हैं जो खाद्य बोरियों के रूप में उपयोग होती हैं।
कारखाने का महत्व
बरबिल चीनी कारखाना भारत के चीनी उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ पर लाखों टन गन्ना प्रसंस्कृत किया जाता है और इसका शुगर भारत भर में बेचा जाता है। इसके अलावा, यह कारखाना क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करता है और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारता है।