
5 अक्टूबर से शुरू होने वाले वर्ल्ड कप के लिए भारत पूरी तैयारी में है। यह चौथी बार है कि वर्ल्ड कप भारत में हो रहा है। 1987 में, पहली बार वर्ल्ड कप का आयोजन इंग्लैंड के बिना होकर भारत और पाकिस्तान में हुआ था। 1996 और 2011 में भी, वर्ल्ड कप की सफल मेजबानी ने भारतीय उपमहाद्वीप द्वारा की थी। इस बार, यह एक इतिहासिक घटना है क्योंकि पहली बार यह महाकुंभ पूरी तरह से भारत में आयोजित हो रहा है। इससे पहले, भारत के साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, और बांग्लादेश ने संयुक्त रूप से मेजबानी की थी।
ऐसे में जानते हैं कि भारत में हुए पिछले तीन वर्ल्ड कप में क्या ट्रेंड्स रहे हैं। किन प्रकार के खिलाड़ियों के वजह से टीम फाइनल में पहुंची।
बाएं हाथ के ऑलराउंडर का है ट्रेंड
भारत में 1987 में, ऑस्ट्रेलिया ने एलन बॉर्डर के कैप्टनी में इंग्लैंड को हराकर ट्रॉफी जीती थी। उनके कैप्टनी बने हुए बॉर्डर ने खुद 183 रन बनाए और 6 विकेट भी लिए थे। फिर, 1996 में, श्रीलंका के ओपनर सनथ जयसूर्या ने 221 रन बनाए और 7 विकेट भी लिए थे, और उन्हें टूर्नामेंट के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के रूप में चुना गया। 2011 में, भारत में बाएं हाथ के युवराज सिंह ने अपने शानदार प्रदर्शन से दिलों को छू लिया। उन्होंने 362 रन बनाए और 15 विकेट लिए, और उन्हें टूर्नामेंट के ऑलराउंडर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के रूप में मान्यता प्राप्त की।
तीनों बार एशिया की टीमें अंतिम-4 तक पहुंची हीं
भारतीय उपमहाद्वीप में अब तक हुए तीन वर्ल्ड कप में एशियाई टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया है। 1987 के वर्ल्ड कप में, भारत और पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में पहुँचकर खुद को साबित किया। लेकिन इसके बाद, पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और भारत को इंग्लैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। फिर, दो बार वर्ल्ड कप भारत में आयोजित हुए, और दोनों बार एशियाई टीमें ने ट्रॉफी जीती। 1996 में, श्रीलंका ने इंग्लैंड को हराकर पहली बार ट्रॉफी जीती, और 2011 में, भारत ने श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप जीता।
तीनों वर्ल्ड कप में टॉप-3 बैटर्स में रहे खिलाड़ियों की टीमें फाइनल में पहुंचीं
तीनों वर्ल्ड कप में सर्वाधिक रन बनाने वाले टॉप-3 बैटर्स में से 2 के टीम ने फाइनल में जगह बनाई है। 1987 में, ऑस्ट्रेलिया के बून ने 447 रन और ज्योफ मार्श ने 428 रन बनाए थे, और दोनों ही टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर थे। 1996 में, जयसूर्या और कालूवितर्णा ने श्रीलंका के लिए 20.26% रन बनाए। 2011 में, सचिन और सहवाग की सलामी जोड़ी ने टीम के लिए 35.77% रन बनाए, सचिन ने 482 रन और सहवाग ने 380 रन बनाए।
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