
तो दोस्तो, आपने सैफरन यानी केसर के बारे में तो बहुत सुना होगा। जी हां, वही केसर जो बहुत महंगा बिकता है। उसको बहुत सारी चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे खाने में डाला जाता है, दूध में भी डाला जाता है और भी कई सारी जगहों पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। पर दोस्तों आपको यह पता है कि यह इतना महंगा क्यों है? जी हां, केसर का दाम गोल्ड के प्राइस से भी ज्यादा महंगा है। पर ऐसा क्यों है? चलिए दोस्तों आज इस लेख में सब जानेंगे।
केसर की खेती में गिरावट।
दोस्तो केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है जो कि खाने में डालते ही इसका स्वाद एकदम बढियां कर देता है। इसकी ज्यादातर खेती कश्मीर में की जाती है। परंतु कुछ सालों में केसर की खेती पर बहुत ही ज्यादा फर्क पड़ा है। मौसम के बदलाव की वजह से और उसी के साथ साथ बहुत ही दूसरे कारणों की वजह से केसर की खेती में करीब 65% गिरावट आई है।
केसर की खेती से कितना उत्पादन होता है?
केसर की खेती 16 मीट्रिक टन से गिरकर करीब पाँच मीट्रिक टन ही हो गई है। इसकी खेती भारत में हाथों से की जाती है जिसकी वजह से इन सब कामों में बहुत ही ज्यादा समय लग जाता है। वहीं दूसरे देशों में देखा जाए तो केसर की खेती मशीनों से की जाती है जिसकी वजह से खेती जल्दी हो जाती है।
कश्मीरी केसर की दाम क्या है?
कश्मीरी केसर का दाम दुनिया में सबसे ज्यादा है। क़रीब ₹1.3 लाख का बिकता है। वह भी सिर्फ एक किलो। 200 कश्मीरी केसर का दाम महंगा इसकी क्वालिटी की वजह से होता है। उसमें क्रोसिन की मात्रा ज्यादा होती है जिसकी वजह से उसको लाल रंग मिलता है और इसी की वजह से उसको दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
कश्मीरी केसर की खेती कैसे की जाती है?
कश्मीरी केसर में क्रोसिन लगभग 8.27% पाया जाता है। वहीं पर ईरान में पाई जाने वाली केसर में सिर्फ 6.82% ही पाया जाता है। उसी के साथ साथ केसर का इतना महंगा होने के पीछे कारण है जैसे कि उसको उगाने का प्रॉसेस। 454 ग्राम केसर को उगाने में करीब 75,000 फूल लगते हैं जो कि इसको उगाने में बहुत ही ज्यादा समय ले लेता है। केसर का फूल जमीन से सिर्फ छह इंच ऊपर ही उठता है जिसकी वजह से उसको निकालने में बहुत ही सावधानी से काम लेना पड़ता है।
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