सितारा फल की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी।

सितारा फल की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी।: सीतारा फल एक छोटे से मध्यम आकार का रसेदार विदेशी फल है। यह इंडोनेशिया, मलेशिया और दक्षिणी चीन का मूल निवासी है। इस फल में हमें ऑक्सालिक एसिड मिलती है जिसके वजह से यह अम्लीय प्रकृति का पाया जाता है। यह फल अपने अलग ही विधाता के आधार पर मीठे या खट्टे पाए जाते हैं। सीतारा फल का स्वाधा में अंगूर सेब के जैसे लग सकते हैं।

सीतारा फल का बनावट कुरकुरी प्रकार की होती है। सितारा फल को हम लोग ताजा खा सकते हैं या साथ ही इसे सलाद में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी खेती व्यवसायिक रूप से की जाती है। तौर पर यह फल आकार में लगभग 12 सेंटीमीटर लंबाई के रीड स्ट्रक्चर के साथ थारे जैसा पाया जाता है।

सितारा फल से हमें क्या स्वास्थ्य लाभ होता हैं।

  • सितारा फल कम कैलोरी वाला फल हैं।
  • सितारा फल फाइबर का एक अच्छा स्रोत है।
  • सितारा फल भी अच्छा मात्रा में विटामिन-ए विटामिन-सी और बी कंपलेक्स पाया जाता है।
  • सितारा फल एंटीबायोटिक स्कावी एक अच्छा स्रोत है।
  • सितारा फल कोलस्ट्रोल के अस्तर को कम रखने में मदद करता है।
  • सीताफल के पत्ते और जड़े चेचक, सिर दर्द और दाद जैसे बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।

भारत में सितारा फल का स्थानीय नाम।

भारत के अंदर अलग-अलग भाषाओं का इस्तेमाल होता है जिसमें सितारा फल को सभी भाषाओं में अन्य नाम से जाना जाता है। जैसे-

  • कैरंबोला, स्टार फ्रूट (अंग्रेजी)
  • कमरख (हिंदी और गुजराती)
  • कामरंगा (बंगाली)
  • करंबल (मराठी और कोंकणी)
  • करंबल-द्राक्षी, कपराक्षी हन्नू (कन्नड़)
  • चतुरप्पुली, वैराप्पुली (मलयालम)
  • कर्मंगा (उड़िया)
  • थंबरथम (तमिल)
  • अंबानमकाया (तेलुगु)
  • कोर्डोई, रोहदोई (असमिया)

भारत में सितारा फल के प्रमुख प्रकार या किस्में।

भारत के अंदर सितारा फल का कोई भी उन्नत किस्में नहीं उगया जाता है। लेकिन भारत में सितारा फल का मीठे किस्म और खट्टी किस्म मिल सकते हैं। सितारा फल का हवाई और ताइवान जैसे जब वो पर बेहतर मीठी किस्में मिल जाते हैं। सितारा फल के मीठे फल को ताजे रूप में खाया जा सकता है लेकिन खट्टे फलों को अचार बनाने का इमली के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सीतारा फल की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम।

सीतारा फल के पेड़ नम सामग्री के साथ अच्छी तरीके से गर्म मौसम में उगते हैं। इसकी फसल की खेती भारत के अंदर पहाड़ियों इलाकों में की जाती है, जो 1200 मीटर ऊंचाई तक होते हैं। इसके विकास के लिए अच्छी वर्षा की जरूरत पड़ती है जिससे इसमें अच्छी गुणवत्ता और बेहतर उपाय मिल सकती है।

सितारा फल की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी कौन सी है।

सीताराम फल की खेती कई प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है। लेकिन, अच्छे कार्बनिक पदार्थ और अच्छी जल निकासी वाली गहरी मिट्टी  इसकी खेती और बेहतर उपज के लिए बहुत ही अच्छी होती है। इसे हम क्षारीय और अमलीय दोनों प्रकार के मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसको हम लोग चुने वाले मिट्टी में भी उगा सकते हैं इसीलिए कभी-कभी इसके लिए हमें जिंक का प्रयोग करने का आवश्यकता होती है।

सितारा फल की खेती दुरी कितना रखें।

सितारा फल की खेती में आमतौर पर पौधों के बीच का दूरी 8 मीटर × 8 मीटर रखनी बहुत अच्छी होती है।

सीतारा फल की खेती में सिंचाई कैसे करें।

सीतारा फल को मुख खेत में रोपनी के तुरंत बाद ही इसकी सिंचाई करनी जरूरी होती है। नए और युवा पौधों को खेत में स्थापित करने से पहले बार बार सिंचाई करना जरूरी होता है। लंबे समय तक गर्म मौसम में और गर्म स्थितियों में इसमें आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी होती है। बरसात के मौसम में इसकी खेती में सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती है। भारी वर्षा या बढ़ के स्थितियों में हमें इसके जल निकासी पर ध्यान देना होता है क्योंकि यह पेड़ जलजमाव के कारण अच्छे तरीके से नहीं पनपते हैं और संवेदनशील होते हैं।

सीतारा फल की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें।

सीतारा फल की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए हमें निराई-गुड़ाई की जरूरत पड़ती है। इससे ज्यादा और उपयुक्त खरपतवार ओं को नियंत्रित करने के लिए आपको स्थानीय कृषि कार्यालय से संपर्क करना होता है।

सीतारा फल की खेती में खाद और उर्वरक का इस्तेमाल कैसे करें।

सितारा फल की खेती में अच्छे जैविक पदार्थ की जरूरत पड़ती है। अच्छे सड़ी हुई गोबर की जैविक खाद को हम लोग प्रति पेड़ 50 किलोग्राम इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे फलो मैं अच्छी गुणवत्ता और बेहतर उपज प्राप्त होती है। इसके लिए कोई अलग उर्वरक खुराक की सिफारिश नहीं की जाती है। लेकिन इन पैरों की अच्छी वृद्धि के लिए आप नाइट्रोजन और फास्फेटिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन उर्वरकों की मात्रा मिट्टी और पेड़ की उम्र पर निर्भर करता है।

सितारा फल की खेती में कीट और रोग।

सितारा फल की खेती में कई लोगों को आम माना जाता है जैसे – लीफ स्पॉट, ब्लैक स्पॉट, एन्थ्रेक्नोज, फ्लाईस्पेक, रूट रोट और शैवाल रोग। इसको नियंत्रित में लाने के लिए आप अपने स्थानीय बगवानी या कृषि विभाग के कार्यकाल में संपर्क कर सकते हैं।

सितारा फल की खेती में कटाई कैसे करें।

ग्राफ्टेड पेड़ लगभग 1 से 2 साल में तैयार होकर फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं जिसके बाद इसकी कटाई हो सकती है। जबकि अंकुरण के द्वारा लगाए हुए पेड़ लगभग 4 साल लगा देते हैं। यह पेड़ तनों पड़वी खीलते और इसमें फल लगते हैं। सीताफल के पेड़ लगभग पुणे फल फल देते हैं लेकिन इश्क की चरम अवस्था जनवरी से फरवरी महीने और दिसंबर से अक्टूबर महीने के दौरान होता है। जब सितारा फल के फल हरे से पीले रंग में बदलने लगते हैं तो इसकी कटाई के लिए राय दी जाती है। हाथ से चुनने के लिए इसे सलाह दिया जाता है।

निष्कर्ष:

दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको सितारा फल की खेती और पेड़ लगाने से जुड़ी हुई सारी जानकारियों के बारे में विस्तार से बताएं हैं। अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं यहां इसका पेड़ भी लगाना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इससे जुड़ी और भी प्रश्न आपके मन में है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। साथी और भी अन्य फल और सब्जियों की खेती के बारे में जानने के लिए हमारे वेबसाइट पर जरूर आए। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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