
शिमला मिर्च को मिठाई काली मिर्च या घंटी काली मिर्च के रूप में भी जाना जाता है। शिमला मिर्च एक महत्वपूर्ण उच्च मूल वाली सब्जी है जिस की खेती ग्रीन हाउस के बेंगलुरु, पुणे जैसे इलाकों में जलवायु क्षेत्रों में छायादार टेंट के अंदर किया जाता है।
शिमला मिर्च में विटामिन ए, सी और खनिजों जैसे पदार्थ भरपूर रहते हैं। शिमला मिर्च की खेती बड़े शहरों में आसानी से की जाती है जिससे वह बाजारों में जा सके। शिमला मिर्च की खेती पूरे साल की जाती है जिससे इसका महत्व गोवा जैसे राज्यों में ज्यादा है।
यह बाजार में ₹80 किलो के भाव से बेचा जाता है। खुले मैदान में शिमला मिर्च की खेती में उपजाऊ एक हेक्टेयर जमीन में 20 से 40 किलो टन तक होता है जबकि ग्रीन हाउस में इसकी उपजाऊ सीमा 100 टन से लेकर 120 टन तक होता है।
शिमला मिर्च के खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम कौन सा है।
शिमला मिर्च एक ठंडा मौसम का फसल है। अगर दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस काम है तो या और भी अच्छे से उपाजता है। लेकिन व्यापक अनुकूलता के साथ अच्छे संख्या में संकारों की शुरुआत के कारण गोवा जैसे गर्म जलवायु राज्यों में इसकी खेती सफलतापूर्वक से की जा सकती है।
साथ ही बहुत ज्यादा तापमान के कारण इसके पौधे तेजी से विकास करते हैं और साथ इसके फलों के सेट को प्रभावित करते हैं। रात का ठंडा तापमान इसके फूल आने और फल लगने में मदद करते हैं। गर्मी के मौसम में ज्यादा तापमान से बचाने के लिए इसे छायांकन की जरूरत होती है।
शिमला मिर्च की खेती में इसके रोपण सामग्री का चयन कैसे करें।
- सबसे पहले इस कार ओपन सामग्री स्वस्थ होना चाहिए और साथ में कीटों के लिए प्रतिरोधी होना चाहिए।
- इसके पौधा का आयु 35 से लेकर 40 दिन के बीच होना चाहिए।
- पौधा की ऊंचाई 16 सेंटीमीटर से लेकर 20 सेंटीमीटर तक होना चाहिए।
- पौधे में अच्छी जल प्रणाली होना बहुत आवश्यक है।
- पौधे को रोकने के वक्त इसके तने में कम से कम 4 से 6 प्रतियां होना आवश्यक है।
- शिमला मिर्च के अच्छे किस्म के पौधे के सामग्री के लिए आकार, फलों का रंग, उत्पादन, फलों की गुणवत्ता और ताकत जैसी अन्य चीजों पर भी ध्यान देना होता है,
शिमला मिर्च की खेती के लिए जमीन को कैसे बनाएं।

अगर आप पॉली हाउस के अंदर इसकी खेती कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको इस क्रीम मिट्टी की अच्छी तरीके से जुताई करके ढीला करना होता है। इसके बाद हमें 75 सेंटीमीटर का बेड बनाया जाता है जिसकी ऊंचाई कम से कम 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। दो बेड के बीच में 45 सेंटीमीटर जगह छोड़ देना चाहिए जिससे काम करने में आसानी हो। बेड बनाने से पहले उसमें अच्छी सड़ी हुई जैविक खाद यह वर्मीकंपोस्ट को रेट के साथ मिलाकर मिट्टी में मिलाया जाता है। बेड को 4% फॉर्मलडिहाइड से भिगोया जाता है और 3 से 5 दिनों तक पॉलिथीन सीट से ढक दिया जाता है।
शिमला मिर्च की खेती में पौधों की रोपाई, छंटाई और परीक्षण कैसे करें।
तैयार पौधों को पंक्तियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरि पर 30 सेंटीमीटर की दूरी पर उठाई हुई बेड पर लगाया जाता है। इसकी पौधों को रोकने से पहले पॉलीहाउस में किसी भी तरह के चूसने वाले कीट से बचाने के लिए हमें इसमें इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करना होता है।
इसको रोकने के वक्त इसकी बेड को अच्छी तरीके से सीखना चाहिए और इस से गिला रखना चाहिए। शिमला मिर्च के पौधे को दो कतारों में उठी हुई बेड में बोना चाहिए। इसकी खेती में पानी बचाने और खरपतवारों की वृद्धि से रोकने के लिए हम लोग प्लास्टिक मंच का प्रयोग कर सकते हैं।
जब तक इसके पौधे में अच्छा अंकुर नहीं लग जाता तब तक इसे डब्बे से रोजाना पानी देना होता है। इसके बाद आप लोग डीप इरीगेशन का इस्तेमाल करके प्रतिदिन दो से 3 लीटर पानी से सिंचाई कर सकते हैं। रोपाई के 15-20 दिनों के बाद से सप्ताहिक अंतराल पर आप इसकी छंटाई कर सकते हैं।
शिमला मिर्च की खेती में रोपने का प्रक्रिया और पौधों के बीच का दुरी।
शिमला मिर्च को रोपने के लिए आपको दो पंक्ति बनाने का आवश्यकता पड़ता है। इसको आप ज़िक्जाक तरीके के द्वारा बनाए हुए बेड भी रोप सकते हैं। बात की जाए पौधों के बीच का दूरी के बारे में तो एक पौधे से दूसरी पौधे की दूरी 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए जबकि एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 50 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
शिमला मिर्च की खेती में रोग एवं कीट को नियंत्रित कैसे करें।

थ्रीप्स और घुन : यह एक चूसने वाले कीड़े होते हैं जो ग्रीनहाउस फसलों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। शिमला मिर्च खुद से स्व परागण होते हैं लेकिन मधुमक्खियां और कीड़े के चलते यह और भी उच्च स्तर पर क्रॉस परागण होता है।
एसपी हार्मोन के छिड़काव के कारण पराक्रम में सुधार नहीं होता है। जब मधुमक्खियां या बड़े ग्रीन हाउस में उड़ते हैं तो इसका पढ़ाकर स्पष्ट रूप से बेहतर होता है। शिमला मिर्च की खेती में इसके फलों में मधुमक्खियां बीजों की संख्या बढ़ा देती है।
शिमला मिर्च की खेती में कटाई कैसे करें।
हरी शिमला मिर्च के मामले में इसकी तू राई रोकने के 60 दिनों के बाद की जा सकती है, पीली और लाल रंग की शिमला मिर्च में इसकी तुराई 80 से 90 दिनों के बाद होती है। हरे रंग की शिमला मिर्च में 10 दिनों की अंतराल पर 170-180 दिनों तक कटाई जारी रहती है जबकि लाल और पीले रंग में 200-250 दिनों तक कटाई जारी रहती है। पके हुए शिमला मिर्च को तोड़कर ठंडे स्थान पर रखा जाता है।
निष्कर्ष:
दोस्तों,ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको शिमला मिर्चसे जुड़ी हुई सारी जानकारियां के बारे में बताएं हैं। अगर आप शिमला मिर्च की खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आप को मदद कर सकती है। आशा करता हूं कि यह लेख अच्छा लगा होगा, और भी अन्य फलों और सब्जी के खेती के बारे में जानने के लिए हमारे वेबसाइट पर दोबारा जरूर आए। धन्यवाद।