सेब की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी।

सेब का फल दुनिया का सबसे पुराना और व्यावसायक रूप से सबसे महत्वपूर्ण फल में से एक है। दुनिया में नारंगी, केला और अंगूर के बाद सबसे ज्यादा उत्पन्न होने वाले फलों में यह चौथा नंबर पर आता है। चीन देश सेब उत्पादक के क्षेत्र में सबसे बड़ा देश है। भारत देश में इसकी उत्पादन सबसे ज्यादा कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों जगह में की जाती है।

सेब की खेती भारत के और भी राज्य में फैली हुई है जैसे नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय। सेब का सेवन ज्यादातर लोग एक ताजे फल के रूप में करते हैं। साथ में सेब का इस्तेमाल जेलिस, जूस जैसे भी किया जाता है।

सेब खाने से हमारे शरीर को क्या फायदे पहुंचते हैं।

  • सेब खाने से हमारा मस्तिक स्वस्थ रहता है।
  • सेब स्टोर या हिर्दय रोग के जोखिम से बचाता है।
  • सेब के खाने से हमारे टाइप टू डायबिटीज का खतरा भी कम होता है।
  • सेब के अंदर कई प्रकार के गुण पाए जाते हैं जो हमें कैंसर के खतरे से बचाता है।

सेब की खेती के लिए जरूरी मौसम कौन से हैं।

सेब की खेती 15000 मीटर से लेकर 27000 मीटर की ऊंचाई पर की जा सकती है। सेब की खेती करने वक्त मौसम का तापमान एक 21 डिग्री सेल्सियस से लेकर लगभग 24 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। सबसे अच्छे तरीके से पलने के लिए सेब के पेड़ों को साल में 100 सेंटीमीटर से लेकर 125 सेंटीमीटर तक वार्षिक वर्षा की जरूरत होती है।

जब फल परिपक्वता अवधि में होते हैं तो अधिक वर्षा और कोहरा इनके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अधिक वर्षा से सेब के फलों को गुणवत्ता खराब होती है और साथ ही इनके रंग पर भी प्रभाव पड़ता है। सेब में धब्बे भी आ सकते हैं। जिस भी स्थान पर तेज हवा चलती है वहां इसकी खेती उपयुक्त नहीं होती है।

सेब का खेती में कैसी मिट्टी की आवश्यकता होती है।

सेब की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थ वाले मिट्टी को सही माना गया है। दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है और साथ ही इसका पीएच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए जिससे इसकी खेती में और भी फायदे मिलते है। सेब की खेती में जलजमाव नहीं होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाले मिट्टी को सेब की खेती के लिए आदर्श माना जाता है।

सेब की खेती में रोपण और दूरी कैसे करें।

सेब की खेती में अगर एक हेक्टेयर जमीन आपके पास है तो इसकी पौधों की संख्या 200 से लेकर 1250 तक हो सकता है। इसकी खेती में रोपण घनत्व की चार अलग-अलग श्रेणियां लागू की जाती है। कम, इस श्रेणी में आप एक हेक्टेयर जमीन में 300 सेब के पौधे लगा सकते हैं। मध्यम, इस श्रेणी में आप 300 से लेकर 500 सेब के पौधे प्रति हेक्टेयर लगा सकते हैं। उच्च,  इस श्रेणी में आप एक हेक्टेयर जमीन में 500 से लेकर 1300 सेब के पौधे लगा सकते हैं। आखरी श्रेणी होती है अति उच्च घनत्व, इस श्रेणी में आप 13 सौ से अधिक सेब के पेड़ प्रति हेक्टेयर लगा सकते हैं।

सेब की खेती में रोपने की विधि क्या है।

अलग-अलग स्थानों पर सेब की खेती अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। घाटियों वाले स्थानों पर आप इसकी खेती हेक्सागोनल या वर्गाकार वृक्षारोपण प्रणाली का पालन करते हुए कर सकते हैं। जबकि ढलान वाली स्थानों पर आप समोच विधि का पालन कर सकते हैं।

सेब के पौधों आप अक्टूबर से नवंबर महीने में रोक सकते हैं। इसे रोकने से पहले आपको जमीन में 1m ×1m ×1m गड्ढे कर लेने होते हैं। सभी गड्ढे में लगभग 30 से 40 किलो गोबर की खाद, 500 ग्राम सिंगल सुपरफास्फेट और 50 ग्राम मेलाथियान को अच्छी तरीके से मिलाकर गड्ढे में डाला जाता है। रोकने के तुरंत बाद हमें इसकी सिंचाई करनी होती है।

सेब की खेती में सिंचाई कैसे करें।

सेब की खेती में सिंचाई की आवश्यकता 115 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की होती है। जिसे हम लोग 14 से 20 सिंचाई करते हुए निर्धारित कर सकते हैं। गर्मियों के दिनों में हमें सेव की खेती में 6 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी होती है जबकि सर्दियों में हम इसके सिंचाई तीन से चार हफ्ता के अंतराल पर कर सकते हैं। फल लोग जाने के बाद अप्रैल से अगस्त महीने तक हम हैं इसकी सिंचाई कम से कम 8 बार करनी चाहिए।

सेब की खेती में कीट और रोग नियंत्रित कैसे करें।

सेब की खेती में मुख्य कीट ऊनी सेब एफिड, सैन जोस स्केल, ब्लॉसम थ्रिप्स, सफेद स्केल आदि होते हैं जिसे हम लोग फेनिट्रोथियन, क्लोरोपाइरीफॉस, कार्बेरिल के चिरकाल से इसे नियंत्रित कर सकते हैं। सेब की खेती में पाई जाने वाली मुख्य बीमारियां सेब की पपड़ी, कॉलर रोट, क्राउन गॉल आदि होते हैं। सेब की खेती में संक्रमित पौधों के हिस्से को नष्ट कर देना चाहिए और साथी इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए कार्बेन्डाजिम, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, मैंकोजेब और अन्य फफूंदनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।

सेब की खेती में कटाई कैसे करें।

सेब के पौधे 8 में साल से फल देना शुरू कर देते हैं। इसकी खेती में 8वें से लेकर 17वे वर्ष तक इसकी उत्पादन बढ़ते रहती है इसके बाद इसकी उत्पादन 30 वर्ष तक रुक जाती है। सेब की उत्पादन की स्तर ऊंचाई से ऊंचाई तक अलग-अलग होती है। मौसम के अनुसार हम लोग सेब के पेड़ का जीवन 40 साल तक बढ़ा सकते हैं। सेब के फलों को आमतौर पर पूरी तरीके से पक्के जाने से पहले ही काटा जा सकता है।

निष्कर्ष :

दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको सेब की खेती से लेकर जुड़ी सभी जानकारियों के बारे में विस्तार से बताएं हैं। अगर आप सेब की पौधा लगाना चाहते हैं या इसकी खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। साथ ही किसी और भी अन्य सब्जियों फलों की खेती के बारे में जानने के लिए हमारे वेबसाइट पर जरूर आए। सेब की खेती से जुड़ी और भी प्रश्न अगर आपके दिमाग में है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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