राजमा की खेती कब और कैसे की जाती है की सम्पूर्ण जानकारी।

अन्य दलों की तुलना में राजमा की दाल काफी बड़ी होती है राजमा की कच्ची फलियों का उपयोग सब्जी बनाने के लिए भी किया जाता है इसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं और यह एक प्रकार का शाकाहारी खाद्य पदार्थ है। इसमें पोषक तत्व अधिक होने की वजह से राजमा का सेवन करना हमारे सेहत के लिए काफी लाभदायक है। भारत में राजमा की खेती को तमिलनाडु आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र कर्नाटक इन राज्यों में सबसे अधिक की जाती है।

इसमें अत्यधिक मुनाफा होने की वजह से अन्य राज्यों के किसानों के द्वारा भी राजमा की खेती को करना शुरू कर दिया गया है बाजार में राजमा की अच्छी मांग हमेशा बनी रहती है जिसकी वजह से किसानों को अपनी फसल का अच्छा मुनाफा मिल जाता है। तो चलिए दोस्तों अब हम राजमा की खेती कैसे करें की संपूर्ण जानकारी को जान लेते हैं।

राजमा कौन से महीने में बोया जाता है?

हमारे भारत देश में अनेक सारे राज्य हैं उन राज्यों में इस खेती को अलग-अलग समय पर किया जाता है जैसे कि महाराष्ट्र में राजमा की खेती को अक्टूबर के मध्य में की जाती है और वह दूसरी तरफ बिहार में राजमा की बुवाई नवंबर से पहले कर दी जाती है इसी प्रकार अलग-अलग राज्यों में राजमा की बुवाई में कुछ अंतर है। वहीं अगर हम पंजाब तथा हरियाणा की बात करें तो पंजाब तथा हरियाणा अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही राजमा की बुवाई कर दी जाती है।

राजमा की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?

जोकि भी किसान राजमा की खेती को करता है उस किसान को राजमा की फसल 3 से 4 महीनों के बीच में मिल जाती है यानी कि इस फसल को तैयार होने में 3 से 4 महीनों का समय लगता है तीन से चार महीनों में राजमा की फसल पूर्ण रुप से तैयार हो जाती है।

राजमा का बीज कहां मिलेगा?

राजमा की बीच की अगर बात की जाए कि राजमा का बीज कहां मिलेगा राजमा का बीज आपको किसी सरकारी मान्यता प्राप्त संस्था से मिल सकता है इसके अतिरिक्त आप अपने राज्य के बीज भंडार ग्रह के द्वारा भी राजमा का बीज प्राप्त कर सकते हैं। अनेक जगहों पर किसान भाई अपने किसान भाई से ही बीज लेते हैं इसी प्रक्रिया को अपनाकर आप भी आसानी से अपने किसान भाई से राजमा के बीज ले सकते हैं।

राजमा की बुवाई कब करें?

जैसे कि राजमा की बुवाई से जुड़ी जानकारी हमने आपको इस लेख में ऊपर भी बताई है वहीं अगर हम राजमा की खेती के लिए बुवाई का उचित समय जाने तो इसकी बुवाई के लिए उचित समय पंजाब तथा हरियाणा इन दोनों राज्यों में पर के पहले सप्ताह में राजमा की बुवाई कर दी जाती है। बसंत ऋतु मैं इस फसल के लिए फरवरी तथा मार्च के बीच में इसकी बुवाई कर दी जाती है वही खरीफ सीजन की अगर बात की जाए तो खरीफ सीजन में इसकी बुवाई मई से लेकर जून तक की जाती है।

राजमा की खेती कहां होती है?

हमारे भारत देश में राजमा की खेती मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों तथा आंध्र प्रदेश कर्नाटक महाराष्ट्र जैसे राज्यों में की जाती है इन राज्यों में राजमा की खेती को अधिकतम मात्रा में किया जाता है और अन्य राज्यों में भी राजमा की खेती को किया जाता है लेकिन इन राज्यों की तुलना में दूसरे राज्यों में राजमा की खेती को कम किया जाता है वहां पर अन्य तरह की फसल की खेती की जाती है।

राजमा का पौधा कैसे लगाया जाता है?

राजमा के पौधे को लगाने के लिए राजमा के बीजों का उपयोग किया जाता है बीजों की रोपाई ड्रिल विधि के द्वारा की जाती है। जब भी राजमा के बीजों की रोपाई की जाती है तो उससे पहले पंक्तियों को तैयार किया जाता है और उन पंक्तियों में ड्रिल विधि के द्वारा बीजों की रोपाई की जाती है। दोस्तों इसी प्रक्रिया को अपनाकर राजमा की खेती को किया जाता है इस प्रकार बीज को बोया जाता है।

राजमा की खेती कब और कैसे की जाती है?

राजमा की खेती को करने के लिए सबसे पहले बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है और यह मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जिसमें जल निकासी की व्यवस्था हो राजमा की खेती के लिए जिस भी भूमि का चयन किया जाता है उस भूमि का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए जलवायु की अगर बात की जाए तो रवि और खरीफ दोनों ही मौसम में राजमा की खेती की जाती है। सामान्य ताप तथा सामान्य जलवायु राजमा की खेती के लिए लाभदायक होती है बीजों के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है वही इसकी फसल के लिए 10 से लेकर 30 डिग्री तक तापमान की जरूरत होती है।

अब राजमा की खेती को करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लिया जाता है पुरानी फसल के संपूर्ण अवशेषों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया जाता है मिट्टी कि अच्छे से गहरी जुताई कर दी जाती है इसके बाद 10 से 15 गाड़ी प्राकृतिक खाद यानी कि गोबर की खाद मिट्टी में मिला दी जाती है और दो या तीन बार तिरछी जुताई कर दी जाती है यह जुताई करना इसलिए आवश्यक है ताकि मिट्टी तथा गोबर की खाद आपस में अच्छे से मिल सके।

खा तथा मिट्टी को मिलाने के बाद पानी लगाकर पलेव करना होता है तब मिट्टी सूख जाती है तब उसमें रोटावेटर लगाया जाता है मिट्टी के भुरभुरी होने पर भूमि को समतल किया जाता है इसमें पाटा का उपयोग किया जाता है। अब आवश्यकता अनुसार रासायनिक खाद का उपयोग किया जाता है बीजों की रोपाई की प्रक्रिया आपको ऊपर बता ही दी है उस प्रकार से बीजों की रोपाई की जाती है।

FAQ:

राजमा की खेती कौनसे मौसम में की जाती है?

राजमा की खेती वैसे तो खरीफ की फसल है इसे खरीफ के मौसम मैं की जाती है लेकिन वही मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाती है और मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है।

राजमा कितने प्रकार के होते हैं?

राजमा के लगभग 15 प्रकार के होते है।

राजमा का दूसरा नाम क्या है?

राजमा का दूसरा नाम किडनी बींस है।

निष्कर्ष:

राजमा की खेती कब और कैसे की जाती है क्या आज के इस लेख के माध्यम से आपको वह जानकारी जरूर मिली होगी इस जानकारी को आप यहां पर जाने के लिए आए थे दोस्तों यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट हैं तथा आज का यह लेख आपको अच्छा लगा है तो इसे आप अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर शेयर करें ताकि अधिक से अधिक व्यक्तियों तक यह जानकारी पहुंच सके।

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