
पॉली हाउस में कीड़े मकौड़े या जानवरों के द्वारा फसल को नुकसान होने की संभावना कम होती है और फसल की क्वालिटी बेहतरीन होती है तो फार्मर सुकून में रहते हैं। पौधों की उत्पादन क्षमता 5 से 10 गुना बढ़ जाती है। अधिक बारिश, सूखा या ओले गिरने से फसलों को नुकसान नहीं होता है। इसलिए किसान की लागत आराम से वसूल हो जाती है। एक पॉलीहाउस कई सालों तक चलता है। इसलिए हर साल इसे बनवाने का खर्चा किसान भाई बहनों को उठाना नहीं पड़ता है।
पॉली हाउस फार्मिंग में फूलो की खेती कैसे करें?
पॉलीहाउस फार्मिंग में फूलों की खेती भी होती है। इसलिए मार्केट में जिन महंगे फूलों की मांग है, किसान वो भी उगाकर अपनी जिंदगी सुधार रहे हैं। गेंदा, गुलाब, जरबेरा जैसे ऑलटाइम डिमांड में रहने वाले फूलों की खेती से अच्छा मुनाफा मिलता है। एक। पॉलीहाउस में टेम्प्रेचर, मॉइश्चर, ह्यूमिडिटी, लाइट, इंटेंसिटी, एयर वेंटिलेशन, डिजीज कंट्रोल, इरीगेशन, फर्टिलाइजर लगभग सब कुछ कंट्रोल एनवायरमेंट पर होता है। इसलिए वैसे फल, फूल और सब्जियां भी उग जाती हैं जो आमतौर पर अपने देश में नहीं उगती है या कुछ खास माहौल में ही उगती है।
पॉली हाउस की खेती में बिना मौसम की खेती की जाती है?
एग्रीकल्चर के बारे में अगर आपको जानकारी है तो आप सीजनल क्रॉप आपको पता होगी। यानी बिना मौसम के मिलने वाली फसल। इन्हें पॉलीहाउस पर उगाया जाता है। जिन किसानों के पास पॉलीहाउस नहीं होता वो किसान अपने खेतों में लगवाने के लिए पौधे पॉली हाउस से ही मंगवाते हैं। मतलब अगर आपके पास पॉली हाउस है तो आप जरूरतमंद किसानों को अच्छी किस्म के तैयार पौधे बेचकर भी पैसे कमा सकते हैं।
पॉली हाउस में नेट कैसे बनाया जाता है?
पॉलीहाउस के साथ साथ अगर नेट हाउस बनाया जाए तो वहां लताओं वाली फसलें जैसे करेला, टमाटर, खीरा, फल और सब्जियां उगा सकते हैं। क्योंकि नेट हाउस में रस्सियों के सहारे लताओं को 20 से 25 फीट तक की हाइट तक बड़ा होने का मौका मिलता है और इससे हर पौधे की पैदावार बढ़ती है। पॉलीहाउस के लिए जरूरी एरिया और स्पेस की बात की जाए तो एक पॉलीहाउस बनाने के लिए कम से कम 400 से 5000 स्क्वेयर मीटर तक के एरिया में बनाया जा सकता है।
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