परवल की खेती कब और कैसे करें – संपूर्ण जानकारी।

परवल भारत में एक बहुत ही लोकप्रिय हरी सब्जी में से एक हैं। भारत में परवल की खेती भी बहुत ज्यादा होती है। यह एक लोकप्रिय उगाई जाने वाली सब्जी है। भारत और बांग्लादेश के कई जगहों पर इसको अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है जैसे परवल, पलवल, परमल या पटोल।

परवल के सब्जी को अकेले या और भी कई सब्जियों के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसकी अकेले या आलू के साथ मिलाकर भुजिया भी बनता है। पलवल में कई तरह के विटामिन और अन्य औषधियां पाई जाती है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है। परवल एक पूरे साल उगने वाला पौधा है जो लता की तरह बढ़ता है।

परवल हमारे शरीर को किस प्रकार से मदद करता है।

परवल एक हरी सब्जी है और हरी सब्जियों हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है और हमें कई तरह के बीमारियों से भी बचाती हैं। परवल भी इन सभी मामलों में सबसे ऊपर आता है और वह हमारे शरीर को कई तरह से स्वस्थ बनाता है। आइए नीचे जानते हैं परवल हमारे शरीर के लिए कैसे महत्वपूर्ण है।

  • पलवल में कई तरह के विटामिन सी का स्रोत है।
  • परवल खाने से हमारा पाचन क्रिया में सुधार आता है।
  • पलवल हमारे शरीर में शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है।
  • परवल खाने से हमारा कोलस्ट्रोल का अस्तर भी नियंत्रित रहता है और साथ ही हमारा दिल भी स्वस्थ रहता है।
  • परवल खाने से कब्ज के इलाज में भी मदद मिलती है।
  • परवल हमारे शरीर में वजन घटाने की कार्यक्रम में भी मदद करता है।
  • परवल खाने से हमारे शरीर का खून भी साफ होता है।
  • परवल हमारे शरीर का उम्र बढ़ने से भी लड़ता हैं।

भारत के कौन से राज्यों में परवल की सबसे ज्यादा खेती होती है।

वैसे तो भारत और बांग्लादेश के कई क्षेत्रों में परवल की खेती की जाती है। परवल पूरे साल उगने वाले सब्जी है। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती बहुत ही ज्यादा मात्रा में की जाती है। भारत के राज्य से बिहार, छत्तीसगढ़, ओडीशा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश मैं इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है।

भारत के अलग भाषाओं में परवल को क्या बुलाया जाता है।

परवल को भारत में के लगभग सभी भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है। साथ ही भारत में कई तरह के भाषाएं बोली जाती है इससे परवल को बहुत नाम भी मिल चुका है। आइए निचे जानते हैं परवल को भारत में कौन सी भाषा में क्या नाम से जाना जाता है।

  • परवल (अंग्रेजी) 
  • परवल / परवल (हिंदी) 
  • परवल (मराठी और गुजराती) 
  • पटोल (बंगाली और असमिया)
  • कोमू पोटला / चेडु पोटला (तेलुगु)
  • कंबुपुदलाई (तमिल) 
  • काडू पडावल, कडु पडवाला काई (कन्नड़)
  • पटोलम (मलयालम)

परवल की खेती के लिए आवश्यक मौसम।

परवल एक बारहमासी पौधा है जो गर्म और गर्म नम जलवायु में सबसे अच्छा तरीके से बढ़ता है। ठंड या ज्यादा ठंड इसके लिए सहन से बाहर होती है। सूखा मौसम जैसे बरसात के बाद वाला महीना इसके लिए प्राथमिक दी गई है। परवल की खेती में इसके अच्छे उपजाऊ के लिए इसको 30 डिग्री सेल्सियस से 15 डिग्री सेल्सियस का तापमान आवश्यक होता है।

परवल की खेती में किस मिट्टी की आवश्यकता होती है।

परवल की खेती करने के लिए सबसे अच्छा जल निकास वाली बलुई दोमट चिकनी मिट्टी होती है। इसकी खेती करने के लिए मिट्टी का सर्वोत्तम 6.0 से 6.5 PH होता है। इसकी फसल बाड़ी मिट्टी में अच्छी तरीके से नहीं पनपती है। जलोढ़ हल्की मिट्टी में अच्छे तरीके से फैलता है।

परवल की खेती में मिट्टी को तैयार कैसे करें।

इसकी खेती करने के लिए हमें मैदान को सबसे पहले तैयार करना होता है। इसको रोकने से पहले हमें मैदान को दो से तीन बार जुताई करते हुए मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। जुताई करने के बाद हमें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए हमें उसमें अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को इस्तेमाल करना होता है। एक हेक्टेयर के मैदान में आपको 20 से 25 टन तक खाद लग सकती है। इनके इस्तेमाल से सब्जियां और भी पैदावार होती है।

परवल की खेती में नरमादा अनुपात कैसे रखें।

परवल एक द्विलिंगी पौधा है इसलिए इसके 1 पौधे में मात्र एक ही लिंग रहता है। अगर इसकी खेती करने वक्त खेल में बस सभी नर पौधे लगाए तो इसका कोई उपज शून्य होगा। इन्हीं सबके चलते इसके खेती में नरमादा अनुपात को बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है। परवल की खेती में ज्यादा उपज प्राप्त करने के लिए महिला: पुरुष अनुपात 9:1 रहना चाहिए।

परवल की खेती के लिए सिंचाई कैसे करें।

परवल की खेती में हमें पहला सिंचाई इसके रोकने के तुरंत बाद ही करनी चाहिए। सिंचाई के बाद इसकी सिंचाई तीन से चार दिन के अंतराल पर करनी होती है। खेती में पानी देना मिट्टी के प्रकार और मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है।

सब्जियों की अच्छी गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए फूल और फल लगने के समय हमें एक-एक दिन के अंतराल पर इसकी सिंचाई करनी चाहिए। वर्षा ऋतु के दिनों में इसकी सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। भारी वर्षा या बाढ़ के मामले में खेती में अच्छे तरीके से जल निकासी का व्यवस्था करना होता है जिससे जलजमाव ना हो और पौधे अच्छे से रहे।

परवल की खेती में खरपतवार को नियंत्रित कैसे करें।

परवल की खेती में खरपतवार को नियंत्रित करने का समय शुरुआती दिनों में ही होता है। शुरुआती दिनों से ही इस पर निगरानी रखी जाती है। खरपतवार को या तो हम लोग नेचुरली हटा सकते हैं या साथ ही इसे मैकेनिकली भी हटा सकते हैं। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पौधों में अंकुर निकलने के बाद हमें मल्चिंग के साथ-साथ ग्रैमैक्सोन मिलाकर हमें पौधे पर छिड़काव करना होता है।

परवल की खेती में खाद और उर्वरक के तौर पर क्या इस्तेमाल करें।

परवल की खेती शुरू करने से पहले हमें जमीन में अच्छी सड़ी हुई गोबर को खाद के रूप में मिला ना होता है। एक हेक्टेयर जमीन में लगभग 20 से 25 टन सड़ी हुई गोबर का खाद इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ आप को 60 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, और साथ ही 40 से 50 किलोग्राम पोटेशियम का प्रयोग करना चाहिए।

परवल की खेती में कटाई कैसे करें।

परवल की खेती शुरू करने के बाद आप अगर इसको फरवरी महीने में रोपाई करते हैं तो यह लगभग 120 से 140 दिनों के अंदर फल देने लगती है और साथ ही इसका यह सिलसिला सितंबर महीने तक जारी रहता है। इसकी खेती में जब यह परागण हो जाती है तब इसको पूर्ण परिपक्रात से लगभग 15 से 18 दिनों के पहले ही काट ले सकते हैं। इसके फसल के लिए सप्ताहिक कटाई को प्राथमिकता दी गई है।

निष्कर्ष:

दोस्तों, इस लेख में हम आपको परवल की खेती का संपूर्ण जानकारी के बारे में बताएं हैं। अगर आप परवल की खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसके साथ अगर आप और भी कई पौधों और सब्जियां की खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे वेबसाइट पर जरूर आएं। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। परवल की खेती से जुड़ी और भी प्रश्न आपके मन में है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

आगे पढ़े।

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