
मूंगफली तिलहनी कुल की फसल है जिसकी खेती भारत के कई राज्यों में लार्ज स्केल पर होती है, जिनमें से कुछ प्रमुख राज्य इस प्रकार गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब राज्य है। लेकिन पिछले कुछ सालों से मूंगफली का प्रोडक्शन साल दर साल घटा है। जिस कारण से हमें मूंगफली का मंडी ठोक भाव काफी अच्छा मिलता है।
मुंगफली की फ़सल में किस प्रकार का रोग होता है?
मूंगफली की फसल पर फंगस जनित रोग लगते जैसे लीवर सपोर्ट, लीफ, पाइल्स, ओवरी मेलोडी और इन सब में इन रोगों से हमारी फसल को बचाने के लिए हमें फंगी साइड का छिड़काव करना पड़ता है, जिसका हमारा खर्चा या सब मूंगफली की फसल पर वाइट फ्लाई ग्रेप्स एफिड्स का अटैक देखने को मिलता है।
एक एकड़ मुंगफली से कितना उत्पादन होता है?
इन कीटों से हमारी फसल को बचाने के लिए हमें इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड डालना पड़ता है। मूंगफली की हार्वेस्टिंग हमें लेबर की आवश्यकता लगेगी। मूंगफली की खेती में आप मल्चिंग पेपर का भी उपयोग कर सकते हैं। बहुत से किसान भाई आजकल मूंगफली की खेती मल्चिंग पेपर से करते हैँ। दोस्तों एक एकड़ मूंगफली की खेती से तक़रीबन 12 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। हम इन दोनों का एवरेज 10 क्विंटल लेते हैँ।
मूंगफली की खेती का सही समय क्या है व मूंगफली की खेती की समय साइकल क्या है?
मूंगफली की खेती भारत के अधिकतर राज्यों में दो सीजन में होती है। जायद और खरीफ के दोनों ही सीजन में मूंगफली की खेती की जा सकती है। जायद के सीजन का सही समय फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च महीने व खरीफ के सीजन का सही समय जून और जुलाई है। लेकिन दक्षिण भारत के किसान भाई मुंगफली की खेती तीनों सीजन में कर सकते हैं। दोस्तों मुंगफली की खेती में बीज बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद फूल आने लगते और 100 से 120 दिन के अंदर हमारी फसल हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है।