मशरूम की खेती कैसे करें, लागत, मुनाफा, समय सम्पूर्ण जानकरी। 

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मशरूम की खेती कैसे करें, लागत, मुनाफा, समय सम्पूर्ण जानकरी। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारे गाँव में भी एग्रीकल्चर सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन लगभग 15 परसेंट है। आए दिन खेती के तरीकों को आसान बनाने के लिए नई टेक्नालॉजी लाई जा रही है और आजकल लोग खेती की ही नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लाखों करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। और इन्हीं में से एक है मशरूम की खेती जो कि बहुत ही फायदेमंद साबित होती है। कई बार तो किसान ऐसा करके करोड़पति तक बन जाते हैं। आखिर कैसे होती है कैसे आप भी बन सकते हैं करोड़पति। ये खेती करके किस तरह से लोग कमाते हैं मुनाफा। चलिए जानते हैं आज के हमारे इस लेख में। 

आखिर मशरूम होता क्या है?

दरअसल हम आपको मशरूम की खेती के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि आखिर मशरूम होता है। मशरूम एक तरह का पौधा है लेकिन फिर भी इसका मांस की तरह देखा जाता है। लोगों के मुताबिक ये एक शाकाहारी पौधा नहीं होता है। आपको बता दें कि इसमें ज्यादा क्वांटिटी में प्रोटीन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे कि वाइटमेंन डी। यह फफूंद से बनता है और अगर इसकी शेप की बात करें तो इसकी शेप एक छत्ते के आकार की होती है। 

कैसे होती है मशरूम की खेती?

चलिए दोस्तों बिना देरी किए जानते हैं कि कैसे होती है मशरूम की खेती। मशरूम की खेती के लिए कोल्ड क्लाइमेट जरूरी होता है। मशरूम उगाने के लिए अक्टूबर से फरवरी का टाइम सबसे अच्छा रहता है। मशरूम को रबी के सीजन में उगाया जाता है। मशरूम के लिए 22 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और 80 से 85% तक की नमी की जरूरत होती है। 

मशरूम उगाने की तैयारी कैसे करें? 

मशरूम की खेती के लिए कमरे की जरूरत होती है। मशरूम की खेती करने के लिए चार स्टेप्स होते हैं, जिनमें सबसे पहला स्टेप होता है खाद बनाना। इसके लिए कंपोस्ट खाद की जरूरत होती है, जिसे पहले तैयार किया जाता है। खाद को बनाने के लिए भूसे यानि की वीट स्ट्रॉ की या धान के भूसे यानी की पैडी स्ट्रॉ इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए भूसे को कीटाणु रहित यानी कि जर्म फ्री बनाना होता है ताकि इसमें मौजूद अशुद्धियां दूर हो जाएं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मशरूम की फसल को उगने में कोई प्रॉब्लम ना आए और इसके प्लांट की ग्रोथ और उसकी क्वॉलिटी में कोई फर्क न पड़े। 

कैसे बनाया जाता है मशरूम के लिए खाद?

मशरूम की खेती के लिए खाद बनाने के लिए लगभग 1500 लीटर पानी में 150 किलोग्राम फोर्मलिन और 150 ग्राम बेबीतीन 50 मिलाया जाता है। इन दोनों को अच्छे से मिक्स किया जाता है। इसके बाद पानी में एक क्विंटल 50 किलोग्राम गेहूं का भूसा डालकर अच्छे से मिलाया जाता है। इसके बाद इसे कुछ टाइम के लिए ढककर रखना पड़ता है। इसके बाद यह खाद मशरूम उगाने के लिए तैयार हो जाता है। 

माशूरम की बुवाई कैसे करें?

ये सब करने के बाद दूसरा स्टेप होता है मशरूम की बुआई यानी मशरूम का प्लांटेशन करना। पहला स्टेप पूरा करने के बाद उस भूसे को हवा में बाहर अच्छे से फैला लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जो खाद में पानी है वह हवा की वजह से थोड़ा सा कम हो जाए। हवा में सुखाने के बाद खाद में

से कम से कम फिफ्टी परसेंट पानी सूख जाता है। इसके बाद भूसे यानी खाद को बार बार पलटा जाता है ताकि बुवाई करने के लिए एकदम रेडी हो जाए। इसके बाद 16/18 का एक पॉलीथिन बैग लेकर इसमें परतें यानी कि लेयर्स बनाकर ही मशरूम के बीज इसमें डाले जाते हैं। 

मशरूम की खेती कैसे की जाती है?

वैसे दोस्तों आपको बता दें कि मशरूम के लिए जिन बीजों का इस्तेमाल किया जाता है वह ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। साथ ही बीज कंपोस्ट खाद के वजन से दो से ढाई परसेंट होने चाहिए। 100 किलोग्राम कंपोस्ट खाद में दो किलो बीज डाला जाता है। जैसे कि पहले भूसा रखा जाता है फिर उसके ऊपर मशरूम के बीज रखे जाते हैं और इसी तरह से 3 से 4 लेयर्स बनाई जाती हैं। 

खाद के लेयर्स 2 से 3 सेंटीमीटर तक मोटी होनी चाहिए। ये परतें डालने के बाद ये बैग के नीचे दोनों कोनों में छेद कर लिया जाता है। ये छेद इसलिए किया जाता है ताकि बचा हुआ पानी निकल जाए। इसके बाद इस बैग को कसकर बांध दिया जाता है, ताकि कहीं से भी हवा की कोई गुंजाइश न बचे। नीचे किए गए दो छेद भी सिर्फ इसलिए किए जाते हैं ताकि पानी निकल सके, लेकिन उनमें खाद की नमी बहुत जरूरी होती है। 

इसलिए इसे हवा से दूर रखा जाता है। इसके बीज या भूसे का रेशियो हर एक परत में बराबर होना जरूरी है। ज्यादतर मशरूम की खेती इसी तरह से की जाती है। जबकि ओएस्टर मशरूम में मिक्स करने की तकनीक का इस्तेमाल होता है। यानी इसमें कोई लेयर नहीं बनाई जाती है और ऐसे ही भूसे और बीजों को मिक्स कर दिया जाता है। जब मशरूम का प्लांटेशन पूरा हो जाता है और उसके बाद पॉलीथिन बैग में छेद कर लिए जाते हैं ताकि मशरूम के पौधे बाहर निकल सकें। 

इसके अलावा इन पौधों को बिल्कुल हवा नहीं लगने दी जाती है। लगभग 15 दिन तक इस फसल को हवा लगने से बचाना होता है। इस वजह से मशरूम की फसल पूरी तरह से कमरे में बंद कर दिया जाता है। जिस कमरे में मशरूम की फसल को बंद किया जाता है, उस कमरे की नमी यानी की हुमिडीटी का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। नमी को बनाए रखने के लिए दीवारों पर पानी का छिड़काव किया जाता है। जिस कमरे में मशरूम की खेती की जाती है, उस कमरे की नमी लगभग 70 डिग्री तक होनी चाहिए। 

साथ ही उस कमरे के टेम्प्रेचर पर भी काफी ध्यान दिया जाता है। आपको बता दें कि मशरूम की फसल को अच्छे से उगाने के लिए लगभग 20 से 30 डिग्री का टेंपरेचर ही ठीक रहता है। इसके अलावा जिस कमरे में मशरूम की खेती की जाती है वह कमरा ऐसा होना चाहिए जहां अच्छे से रौशनी आ सके और अगर रौशनी नहीं आ पाती है तो फिर कैमरे में बल्ब लगाकर रौशनी की व्यवस्था की जाती है। 

कमरे में मशरूम की खेती करते वक़्त मशरूम को एक अलग तरीके से कमरे में रखा जाता है। मशरूम के पैकेट्स को या तो किसी लकड़ी या रस्सी की मदद से बांधकर लटका दिया जाता है। या फिर इसके लिए लकड़ी का एक पलंग तैयार किया जाता है, जिसमें जाल बनाए जाते हैं। और फिर उन पर पॉकेट्स को रखा जाता है। लगभग 15 दिन के बाद इस कैमरे को खुला छोड़ दिया जाता है और पंखे का इंतजाम कर दिया जाता है और हवा लगने के बाद मशरूम की फसल सफेद रंग की नजर आने लगती है। 

मशरूम की खेती में हार्वेस्टिंग कैसे की जाती है?

लगभग 30 से 40 दिनों के अंदर मशरूम की पूरी फसल तैयार होकर कटने लायक हो जाती है। इतने दिनों के बाद आसानी से इसमें फल दिखने लग जाता है। आपको बता दें की मशरूम की फसल की कटाई के लिए किसी तरह  के टूल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बल्कि इन्हे हाथ से ही तोड़ दिया जाता है, क्योंकि इससे मशरूम में इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है। 

उसके बाद दोस्तों फसल को हाथ से तोड़कर ही यह मार्केट में बेचने लायक हो जाते हैं। मशरूम तोड़ने के बाद जब तक इनको बाजार में नहीं बेचा जाता तब तक इनको ठंडी जगह में रखा जाता है। मशरूम को स्टोर करने के लिए इसे 5 से 8 सेंटीग्रेट के टेम्प्रेचर पर रखा जाता है। ज्यादा दिनों तक मशरूम को रखने के लिए इसको नमक के घोल में भी रखा जाता है और फिर कुछ समय बाद इसे बेच दिया जाता है। 

मशरूम का इस्तेमाल कहाँ – कहाँ किया जाता है?

मशरूम की मांग कई जगहों पर होती है। इसका अकसर होटल, रेस्टोरेंट में और दवाएं बनाने वाली कंपनियां ज्यादा यूज करती हैं। मशरूम का ज्यादातर इस्तेमाल चाइनीज खाने में किया जाता है। इसके अलावा इसकी मांग विदेशों में भी बहुत है। हालाँकि इसके अलावा मशरूम की खेती लोग घरो में सब्जी के तौर पर बनाना भी बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। 

मशरूम की खेती में कितनी लागत आती है?

तो दोस्तों यह थी मशरूम की खेती करने की तकनीक। अब बात करते हैं इसकी खेती में लागत कितनी आती है। क्योंकि खेती पारंपरिक खेती के मुकाबले कुछ अलग होती है। आपको बता दें कि खेती पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा मुनाफा कमाकर देने वाली खेती होती है। मशरूम की खेती में 50,000 से लेकर ₹1 लाख तक की शुरुआती लागत आ सकती है। बता दें कि एक किलो मशरूम 25 से 30 रुपये में आसानी से उगा सकते हैं। 

वहीं बाजार में बढ़िया क्वालिटी के मशरूम की कीमत लगभग 250 रुपया से 300 किलो तक है। इस तरह से इसमें 10 गुना तक मुनाफा हो जाता है। अगर कोई 100 मीटर स्क्वायर के एरिया में मशरूम की खेती करता है तो इसमें 1 लाख से 5 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है। 

आजकल लोग इस खेती के जरिये लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। विश्व में मशरूम की खेती हजारों सालों से की जा रही है। जबकि भारत में मशरूम उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है। भारत में 10 12 सालों से मशरूम के उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। 

मशरूम कितने तरह के होते हैं?

चलिए दोस्तों आपको बताते हैं कि आखिर मशरूम कितने तरह के होते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक मशरूम की लगभग 10,000 किस्में हमारी धरती पर मौजूद हैं। लेकिन अगर बिजनेस के नजरिए से देखा जाए तो मशरूम की लगभग पांच ऐसे किस्में हैं जिनकी खेती करके उनसे मुनाफा कमाया जा सकता है। मशरूम कई तरह के होते हैं, लेकिन मशरूम में बटन मशरूम काफी पसंद किया जाता है। 

बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, स्पैशल मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, ढिंगरी या ओएस्टर मशरूम हैं। यह कुछ मशरूम ऐसी हैं जिनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इन सब में से बटन मशरूम का सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसे कभी कभी मिल्की मशरूम भी कहा जाता है। 

निष्कर्ष :

तो दोस्तों इस तरह की जाती है मशरूम की खेती। इस लेख में हमने आपको माशूरम की खेती से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को दिए हैं। अगर आपको मशरूम की खेती से सम्बंधित कोई भी सवाल पूछना है तो आप हमे कमेंट कर के पूछ सकते हैं। दोस्तों मशरूम की खेती के बारे में डिटेल में दिया गया हुआ यह लेख अगर आपको पसंद आया है तो आप इसे शेयर जरूर करें। हमारा यह लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद। 

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