
क्या आपने कभी सोचा है कि पानी की बचत किस तरह से की जा सकती है? मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है? खेत को खरपतवारों से किस तरह से मुक्त किया जा सकता है, वो भी बिना किसी रासायनिक दवाई और खाद के पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से। ये सभी फायदे आप ले सकते हैं अपने फसल की मल्चिंग करके। मल्चिंग क्या है? मल्चिंग के हमें क्या क्या फायदे देखने को मिलते, खेत में मल्चिंग कितने तरह से कर सकते है और बिना ड्रिप इरीगेशन के हम मल्चिंग किस तरह से करें ये सभी जानेंगे इस लेख के माध्यम से।
मल्चिंग क्या होता है?
जब भी हम अपने खेत की मिट्टी को किसी अन्य सामग्री से ढक कर रखते है तो इस प्रक्रिया को मल्चिंग कहते हैं। खेत की मिट्टी को ढकने के लिए हम प्लास्टिक मल्चिंग पेपर, गेहूं की पराली, धान की पराली व घास का उपयोग कर सकते हैं। मल्चिंग करने के कई सारे फायदे देखने को मिलते हैं। खेत में मल्चिंग करने का पहला फायदा तो यह है कि आपका खेत खरपतवारों से मुक्त रहता है। कैसे किसी भी पौधे को उगने के लिए सूर्य का प्रकाश, हवा और पानी की जरूरत होती है। मल्चिंग तीनों को ही रोक देता है जिस कारण आपका खेत खरपतवारों से मुक्त रहता है।
खेत में मल्चिंग करने से क्या फायदे होते हैं?
साथ ही साथ मल्चिंग करने से मिट्टी में नमी ज्यादा समय तक बनी रहती है। क्योंकि सूर्य का प्रकाश सीधा जमीन पर नहीं पडता जिस कारण पानी का वाष्पीकरण नहीं होता। परिणामस्वरूप हमें सिचाई कम करना पडती है।
यानि की मल्चिंग इनडायरेक्टली हमारे पानी की भी बचत करती है। मल्चिंग करने का तीसरा फायदा यह है कि मिट्टी में मौजूद जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है जिस कारण हमारी खेत की मिट्टी एकदम भुरभुरी हो जाती है और अगर आप वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करते तो आपकी मिट्टी में मौजूद केंचुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
मल्चिंग पेपर किस तरह के होते हैं?
परिणामस्वरूप आपकी मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है। फसल की मल्चिंग करने के लिए आप प्लास्टिक मल्चिंग पेपर का उपयोग कर सकते है या फिर गेहूं धान की पराली से आप मिट्टी को ढक सकते है। मल्चिंग पेपर 10 माइक्रोन से 100 माइक्रोन तक के आते हैं व इनकी चौड़ाई दो फीट से चार फीट
इससे भी कही ज्यादा होती है व रंग काला, सिल्वर, पीला और भी कई रंगों में मल्चिंग पेपर आती है। मल्चिंग पेपर पर किसान भाइयों के लिए ब्लैक और सिल्वर रंग के मल्चिंग पेपर सबसे सही होता है। इसी के साथ 25 से 30 माइक्रोन का मल्चिंग पेपर का उपयोग अधिकतर किसान भाई करते हैं।
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