
कटहल की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी। भारत के अंदर कटहल को एक जंगली फल के रूप में माना जाता है और साथ ही इसे व्यावसायिक फसल के रूप में नहीं माना जाता है। लेकिन भारत में यह सबसे अधिक फायदेमंद फलों में से एक है। स्वस्थ मेला और बाजार में इसकी मांग के चलते इसकी खेती दिन पर दिन बढ़ते जा रही है। मूल रूप से यह भारत का मूल निवासी फल है। लेकिन यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैल गया है।
कटहल की खेती मलेशिया, बर्मा और ब्राजील के कुछ स्थानों में किया जाता है। जंगली कटहल की खेती भारत के पश्चिमी घाटों में उगाई जाती है। ताजे फल के रूप में इसका सेवन करने के अलावा इसके उपयोग कुछ विशेष व्यंजनों में भी किया जाता है।
कटहल से हमें स्वस्थ लाभ क्या मिलता है।
कटहल के फल से हमें काफी तरीके से लाभ पहुंचती है। यह लाभ देने वाले फलों और सब्जियों में सबसे ऊपर मानी जाती है। कटहल से हमारे स्वास्थ्य लाभ के बारे में नीचे पढ़ें।
- कटहल खाने से हमारा इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है।
- कटहल हमारे पाचन को और स्वस्थ बनाता है।
- कटहल हमें कैंसर से भी बचाता है।
- कटहल खाने से हमारा आंख और त्वचा भी अच्छा होता है।
- कटहल हमारे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।
- कटहल हमारे अस्थमा को भी नियंत्रित रखता है।
- कटहल खाने से हमारा हड्डियां भी मजबूत बनती है।
- कटहल हमारे शरीर का ऊर्जा भी बढ़ाता है।
भारत में कटहल के स्थानीय नाम।
भारत में अधिकतर राज्य में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है जिससे कटहल को अलग-अलग भाषा में दूसरे नाम से बुलाया जाता है।
- कटहल (हिंदी)
- फनास (मराठी)
- फन्नासा (गुजराती)
- पनासा (तेलुगु)
- पला/वरुक्कई (तमिल)
- हलासु (कन्नड़)
- चक्का (मलयालम)
- पनासा (उड़िया)
भारत में कटहल की प्रमुख उत्पादक राज्य।
भारत के अंदर काफी राज्यों में कटहल की खेती की जाती है। भारत में सबसे ज्यादा कटहल की खेती करने में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और आसाम जैसे राज्य शामिल है।
भारत में कटहल के प्रमुख प्रकार या किस्में।
कटहल की किस्मों की बात की जाए तो यह दो श्रेणियों में बांटा गया है जैसे नरम गुदा और सख्त गुदा ।
सिंगापुर (या) सीलोन जैक, कोंकण प्रोलिफिक, हाइब्रिड जैक, 5 PLR-1(Palur-1), Burliar-1 (टी नगर चयन) और PPI-1 (पेचिपराई-1)।
कटहल की खेती में सबसे अच्छा मौसम कौन सा है।
कटहल की खेती दक्षिण भारत के शुल्क और गर्म मैदानों में सबसे अच्छे तरीके से होती है। इसकी पौधे 14000 से 15000 मीटर ऊंचाई पर नम पहाड़ियों के ढलान में अच्छी तरीके से पनपते हैं। पहला और ठंडा मौसम इसके पेड़ और पौधे को विकास होने में नुकसान पहुंचाता है। ठंडे स्थानों पर कटहल की खेती उपयुक्त नहीं साबित होती है।
कटहल की खेती में आवश्यक मिट्टी कौन सी है।
कटहल की खेती करने के लिए सबसे अच्छी उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी जरूरी होती है। इस मिट्टी का पीएच मान 6.0 से लेकर 7.5 के बीच रहनी चाहिए। कटहल की खेती जल बढ़ाओ को सहन नहीं कर सकती इसलिए इसकी मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए और हमें ऐसे ही भूमि का चयन करना होता है। इसकी मिट्टी में जैविक खाद डालने से हमेशा कटहल की उत्पादन में वृद्धि होती है। नदी तट के किनारे वाली भूमि कटहल की खेती के लिए उपयुक्त साबित होती है।
कटहल की खेती में भूमि की तैयारी और रोपण।
कटहल की खेती के लिए हमें सबसे पहले भूमि को खरपतवार ओं से मुक्त करना होता है। इसकी भूमि को अच्छे से जुताई करके तैयार करनी होती है। हमें इसकी खेती के लिए इस की भूमि को ऐसे तैयार करना होता है ताकि इसके भूमि में जलजमाव ना हो।
6 मीटर की दूरी पर हमें एक घन मीटर आकार के गड्ढे खोदे जाने चाहिए। गड्ढे में खाद के रूप में हम सड़े हुए अच्छी गोबर का इस्तेमाल करके उसे भर सकते हैं। ग्राफ्ट को जून महीने से सितंबर महीने के अवधि के दौरान गड्ढों में लगाया जाना चाहिए। जोर पर हमें किसी भी प्रकार की टूट-फूट से बचने के लिए हम उचित स्टेकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्राफ्ट को बचाने के लिए हम लोग नारियल के बड़े पत्ते का इस्तेमाल करके उसे छाया प्रदान कर सकते हैं।
कटहल की खेती में सिंचाई कैसे करें।
कटहल की खेती सामान्यतः वर्षा आधारित परिस्थितियों में की जाती है। इसकी खेती में सिंचाई की कोई विशेष कार्यक्रम नहीं होती है लेकिन शुरुआती पौधों को दो-तीन साल तक नियमित रूप से हमें पानी देना आवश्यक होती है। इसकी पेड़ सूखे की स्थिति में संवेदनशील होती है इसलिए गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई करनी चाहिए।
कटहल की खेती में हमें सिंचाई करने के लिए रिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं। सिंचाई करने की प्रक्रिया हमेशा मीठी की नमी और मौसम पर निर्भर करता है। बरसात के मौसम में हमें इसकी सिंचाई करनी नहीं चाहिए क्योंकि इसे कोई आवश्यकता नहीं होती है और साथ ही भारी बारिश होने पर हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि पानी का ठहराव ना हो। पानी खेताराम होने से रेल की वृद्धि और फलों की विकास पर असर पड़ता है।
कटहल की खेती में खाद और उर्वरक।
कटहल की खेती में हमें उर्वरकों इस्तेमाल मानसून यानी वर्षा के मौसम में किया जाना चाहिए। सिंचित खेती के मामले में उर्वरकों का इस्तेमाल जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर के वर्ष में दो बार विभाजित हो रहा को के रूप में किया जा सकता है। उर्वरक और खाद का इस्तेमाल पेड़ के तने से 50 सेंटीमीटर दूर गोलाकार खाई में डालकर किया जा सकता है।
कटहल की खेती में कटाई कैसे करें।
कटहल की खेती में इसे बोने के साथ साल के बाद कटाई करने के लिए तैयार हो जाता है। ग्राफ्टेड कटहल के पौधे 4 साल में फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। सिंगापुर के एक कटहल की किस्म अंकुर से उगाए के पौधों तीसरे वर्ष में ही फल देना शुरू कर देते हैं। कटहल आमतौर पर मार्च महीने से लेकर जून के बीच में उपलब्ध रहते हैं।
निष्कर्ष:
दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको कटहल की खेती से जुड़ी सारी जानकारियों के बारे में विस्तार से बताएं हैं। अगर आप कटहल की खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है। कटहल की खेती से जुड़ी और भी प्रश्न आपके मन में है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। साथ ही अगर आप अन्य फल या सब्जी की खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे वेबसाइट पर दोबारा जरूर आए। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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