करेला की खेती कैसे और कब करें, की सम्पूर्ण जानकारी।

करेला एक हरी सब्जी है। दुनिया को दुनिया भर में करेले के नाम से जाना जाता है। करेला का सब्जी भारत में ज्यादा मशहूर है। इसकी खेती पूरे भारत भर में की जाती है। करेला खाने से हमारे शरीर को भी बहुत लाभ पहुंचती है। करेला खाने में थोड़ा तीखा लगता है।

करेला रोपने का सबसे अच्छा मौसम।

करेला की खेती मुख्य रूप से गर्म मौसम में की जाती है। यह एक गर्म मौसम का पौधा है। यह गर्म और अदरक जलवायु में अच्छे तरीके से पनपता है। इसकी अच्छी उपजाऊ करने के लिए 24 डिग्री सेल्सियस से लेकर 27 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सबसे अच्छा होता है।

भारत में करेला की किस्में।

Co 1, MDU 1, COBgoH 1 (हाइब्रिड), अर्का हरित, प्रिया और प्रीति की मुख्य रूप से खेती की जाती है।

करेला खाने से हमें क्या लाभ मिलती है।

करेला को खाने से हमारे ब्लड शुगर पर कंट्रोल रहता है। करेला के अंदर कम मात्रा में कॉरीज और ज्यादा मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसे खाने से हमारा शरीर का वजन घटता है। करेला में और भी तरह के विटामिन, आईरन, जिंक, पोटैशियम जैसे मिनरल पाए जाते हैं।

करेला की खेती करने के लिए सबसे अच्छा मिट्टी।

करेला की खेती करने के लिए एक सूखा और उपजाऊ मिट्टी बहुत अच्छा होता है। बीजों के लिए सबसे अच्छा मिट्टी 5.5 से 6.7 पीएच के बीच में होता है। करेला की खेती किसी भी व्यक्ति को सहन कर सकता है, लेकिन उसमें जल निकासी प्रणाली अच्छा होना चाहिए। यह एक ठंडा मुक्त पौधा है। इसके लिए 24 डिग्री सेल्सियस से लेकर 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सबसे बढ़िया होता है। मिट्टी में रोपने से पहले मिट्टी को अच्छे तरीके से उपजाऊ कर लेनी चाहिए। भीगे हुए बीज मिट्टी में बड़ी जल्दी अंकुरित होते हैं। बीज के अंकुरण के लिए मिट्टी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।

करेला की खेती के लिए भूमि तैयार कैसे करें।

करेला को रोपने से पहले उसको अच्छी तरीके से जुताई कर लेनी चाहिए। मैदान में 1.5 मीटर या 2 मीटर की दूरी पर 30 सेंटीमीटर के आकार में गड्ढे खोद लेनी चाहिए।

करेला की खेती में बुवाई का समय और करेला का बीज दर।

करेला की खेती जनवरी से लेकर मार्च महीने तक ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है। वर्षा ऋतु में मैदानी क्षेत्रों में फसल के लिए जून और जुलाई के महीना अच्छा होता है जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में फसल के लिए मार्च से जून महीने तक बीज को बोया जाता है। करेला की बीज दर की बात की जाए तो 1 हेक्टेयर जमीन में 4 से 5 किलोग्राम करेला का बीज इस्तेमाल किया जाता है।

करेला की बुवाई करने की विधि।

करेला के बीज को 120×90 सेंटीमीटर की दूरी पर डिबलिंग तरीका के द्वारा बोया जाता है। साथ ही मैदान में दो से 3 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे में तीन से चार बीच को बोया जाता है। करेला की बीज को बेहतर अंकुरित बनाने के लिए उसे बोलने से पहले 24 घंटे तक पानी में रखा जाता है। 25 से 50 पीपीएम जीए और 25 पीपीएम बोरॉन के घोल मैं भिगोने से इसके बीच अच्छे तरीके से अंकुरित होते हैं।

करेला की खेती में सिंचाई कैसे करें।

बीजों को बोलने से पहले और बोने के 1 हफ्ते के बाद घाटियों को सिंचाई करना चाहिए। मैदान में मुख्य और उप मुख्य पाइपों के मदद से एक दीप सिस्टम स्थापित करना होता है।

करेला की खेती में खरपतवार नियंत्रित कैसे करें।

खेती के बाद खरपतवार निरंतर अन करने के लिए तीन बार गोडाई करना होता है। बुवाई होने के बाद 15 में दिन से सप्ताहिक अंतराल पर चार बाल एथिल 100 पीपीएम का छिड़काव करना होता है।

करेला की कटाई कैसे करें।

करेला की तूडाई तब की जाती है जब फल छोटे छोटे रहते हैं। करेला की तूडाई करते समय दिल से हमें सावधान पूर्वक रहना चाहिए, तोड़े गए फलों को 3 से 4 दिनों तक ठंडी जगह पर रखा जाता है। एक हेक्टेयर जमीन में लगभग 60 से 100 क्विंटल करेला की खेती की जा सकती है।

करेला के बीज का उत्पादन कैसे करें।

करेला की बीज का उत्पादन करने के लिए हमें उसके कुछ लताओं को जमीन में ही छोड़ देना होता है। तुरई करने के बाद करेला में बीच बचा हुआ रहता है और वह पकते रहते हैं। जिस बीच को छठा जाता है, धोया जाता है और ठंडी सूखे स्थान पर रखा जाता है।

निष्कर्ष:

दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको करेला की खेती के बारे में सारी जानकारियां दिए हैं। अगर आप लोग करेला की खेती करना चाहते हैं तो आपको इस लेख से अच्छी खासी जानकारियां प्राप्त होंगी। साथ ही आपको और भी अलग फल या सब्जी की खेती के बारे में जानना है तो हमारे वेबसाइट पर जरूर आएं। अगर आपके मन में करेला की खेती को लेकर और भी प्रश्न है तो हम एक कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर पूछें। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। धन्यवाद।

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