जीरा की खेती कब और कैसे करें – की सम्पूर्ण जानकारी।

जीरा की खेती कब और कैसे करें, की सम्पूर्ण जानकारी।

नमस्कार किसान भाइयो और बहनो, आज के इस लेख में हम आपको जीरा की खेती कैसे करें की सम्पूर्ण जानकारी देंगे। दोस्तों जीरा इज्जिप्ट देश से आया है, और यह अभी सबसे ज्यादा भारत, नार्थ अफ्रीका, चाइना में उगाया जाता है। भारत में ही इसे जीरा बोला जाता है। जीरा भारतीय किचन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मसाला है, इसका इसतेमाल कई तरह के भोजन में किया जाता है। 

जीरा को भारत में कई अलग – अलग नाम से बुलाया जाता है, जैसे हिंदी में जीरा, तेलुगु में जिलाकर्रा, तमिल में जीरागम, कनाडा में जीरीगे, मलयालम में जीरकम, मराठी में जीरे, और बंगाली में जीरए के नाम से जाना जाता है। 

जीरा के बीज का इस्तेमाल कई प्रकार के आयुर्वेदिक और हर्बल दवाई के लिए भी किया जाता है। जीरा का इस्तेमाल ख़ास कर पेट दर्द में, मोटापा में, पाचन में और अपच में किया जाता है। भारत में सबसे ज्यादा जीरा की उत्पति गुजरात और राजस्थान करती है। 

जीरा का स्वास्थ में कई तरह के लाभ होते हैं, जैसे जीरा पाचन में बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है, जीरा इंसान की इम्यून सिस्टम को बढ़ाती है। साथ ही जीरा पाइल्स को ठीक करने में, अस्थमा में, इंसोम्निया में, स्किन डिसऑर्डर में, रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर में, ब्रोंकाइटिस में, सर्दी में, लैक्टेशन में, एनीमिया में, घाव में और कैंसर में बहुत ज्यादा मदद करती है। 

जीरा के कई अलग – अलग प्रकार यानी वैरायटी होते हैं, जैसे – 

RZ-19 – यह वैरायटी जीरा की सबसे लम्बी वैरायटी होती है। इसमें गुलाबी फूल होते हैं, कड़ी टहनियाँ होती है, और दाने बड़े और जवान होते हैं, साथ ही इसमें पानी की कमी की छमता, और बीमारियों से लड़ने की छमता काफी अत्यधिक होती है। यह जीरा का वैरायटी 4 महीने से लेकर 5 महीने में तैयार हो जाती है। तथा एक हेक्टेयर की जमीन पर तकरीबन 6 क्विंटल जीरा का उत्पादन होता है। 

GC-1 – यह वैरायटी में जीरा काफी खड़ा और बहुत तेजी से बढ़ने वाला वैरायटी है। इसमें जीरा काफी बोल्ड और लम्बा होता है। इसमें जीरा के पौधे का रंग गुलाबी होता है। इसमें जीरा फैला हुआ, भूरे रंग का होता है। यह वैरायटी भी पानी की कमी और बीमारी से लड़ने में मजबूत होती है। इसमे तकरीबन 3 महीने से लेकर 4 महीने में जीरा ग्रो कर जाता है, और एक हेक्टेयर में तकरीबन 7 क्विंट्वल जीरा की उत्पति होती है। 

RZ-209 – यह वैरायटी में जीरा खड़ा होता है, और इस वैरायटी में जीरा बोल्ड और ग्रे कलर का होता है। इस तरह के जीरे में अन्य जीरे के तुलना में बिमारियों और पानी की कमी के छमता से लड़ने की कम ताकत होती है। यह जीरा का वैरायटी 145 दिन से लेकर 155 दिन तक तैयार हो जाती है। यानी की लगभग साढ़े चार महीने से लेकर साढ़े पाँच माहिने। इस वैरायटी में एक हेक्टेयर से तकरीबन 7 क्विंटल जीरा की उत्पति होता है। 

तो दोस्तों ये थे जीरा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बाते आइये दोस्तों हम लोग जीरा की खेती कैसे करे और क्या इसकी प्रक्रिया होती है की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में देते हैं। 

जीरा के खेती कीस तरह के क्लाइमेट में होती है?

जीरा की खेती कब और कैसे करें, की सम्पूर्ण जानकारी।

किसान भाइयो और बहनो आपको बता दे की जीरा के पौधे ज्यादा नमी और बारिश वाले इलाके में नहीं उगती है। यह अच्छे से माध्यम सूखा और माध्यम ठन्डे जगह पर ऊगता है, इसलिए जीरा की खेती सबसे ज्यादा राजस्थान और केरल में होती है, क्यूंकि जीरा के उत्पति के लिए भारत में यह एक दम सही स्थान है।

जीरा के खेती के लिए किस तरह की मिट्टी की जरूरत होती है?

जीरा के खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिटटी लोमी मिटटी होती है, क्यूंकि इसमें पानी को सोखने की अच्छी छमता होती है। इस मिटटी में आर्गेनिक मैटर भी बहुत अच्छी मात्रा में होती है। अगर आप जीरा के खेती को बड़े बिज़नेस के नजरिये से करना चाह रहे हैं तो आप जीरे की खेती को उस जमीन पर कीजिये जिस जमीन पर [पिछले 3 से 4 साल तक खेती नहीं की गयी हो। 

जीरा की खेती के लिए बीजो की बुवाई। 

जीरा की खेती के बीजो बुवाई के लिए किसान भाई बहने अपने हाथों के द्वारा ही कर सकते हैं। इसके लिए किसान भाई बहने नवंबर से लेकर दिसंबर तक का समय बहुत ही अच्छा होता है। क्यूंकि इस समय जमीन माध्यम ड्राई और ठंडा तापमान होता है जो की जीरे के खेती के लिए सबसे उपयुत्क समय है। अगर आप जीरे की खेती को एक हेक्टेयर की जमींन पर करना चाह रहे हैं तो आपको 12 से लेकर 16 किलो बीज की आव्सय्कता होगी। 

जीरा के खेती में खरपतवार एक सबसे बड़ी समस्या होती है। इसलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है की जीरे की खेती में बीज बुआई के एक महीने से लेकर दो महीने के बिच में आप खरपतवार को हटाने के लिए तरीके अपनाये। खरपतवार और कीटाणुओं से बचने के लिए आप हर्बिसाइड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही आप Terbutryn और Oxcadizaone को 0.5 से लेकर 1.0 किलो प्रति हेक्टेयर के  हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर आप Fluchloralin और Pendimethalin को 1.0 किलो प्रति हेक्टेयर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। 

जीरा की खेती में पानी का छिड़काव कैसे करें?

जीरा की खेती में बहुत जयादा पानी का छिड़काव नहीं होता है, जीरा की खेती में बहुत ही हलके पानी का छिड़काव होता है। जीरा के खेती में बीज बुवाई के 7 से 10 दिन के बाद दूसरा पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए। हालाँकि मिटटी के नमी के अनुसार आप पानी का छिड़काव कर सकते हैं, आपको यह देखना है की मिटटी में नमि हुई है या नहीं। 

अंतिम हैवी पानी का छिड़काव उस समय कीजिये जब बीज पूरी तरह तैयार हो जाती है। और उस समय अधिकतम पानी का छिड़काव बिलकुल मत कीजिये जिस समय बीज पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ हो, क्यूंकि ऐसा करने पर आपके बीज खराब हो सकते हैं। 

जीरा के खेती में मैनूर और फ़र्टिलाइज़र का इस्तमाल कैसे करें?

जीरा की खेती कब और कैसे करें, की सम्पूर्ण जानकारी।

जीरा की खेती में तकरीबन 12 से 15 टन का मैनूर और फ़र्टिलाइज़र का उपयुक्त होगा एक हेक्टेयर के जमींन पर, जमीन और मिटटी के तैयार करने के दौरान। उसके बाद आपको P2O5 डोज तकरीबन 20 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होगा, जब आप बीजो की बुवाई करेंगे। इसके अलावा नाइट्रोजन की मात्रा तक़रीबन 30 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होगा। और फिर सबसे अंत में P205 को देना होगा दो भागो में बीज बुवाई के बाद। 

इसके बाद आप तकरीबन चार महीनो तक इंतजार कीजिये और लगभग चार महीनो में आपका जीरा का पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। उसके बाद आप जीरा की हार्वेस्टिंग करने के लिए तैयार हो जाईये। पर हार्वेस्टिंग करने से पहले आपको अपने खेत में से ख़राब पौधे को साफ़ कर के हटाना होगा। उसके बाद आप सिकल की मदद से जीरा को हार्वेस्ट कर सकते हैं। 

उसके बाद जीरे को साफ़ जमीन पर धुप में रखा जाता है, ताकि जीरा अच्छा से सुख सके। उसके बाद बीजो को हलके हाथों से छड़ी से पीटकर बीजो को अलग किया जाता है। 

एक हेक्टेयर की जमींन पर तकरीबन 5 क्विंटल तक जीरा की उत्पति होती है। पर अगर आप अच्छे से पानी का मैनेजमेंट और खेती करे तो एक हेक्टेयर से तकरीबन 7 से लेकर 8 क्विंटल तक जीरा निकल सकता है। 

अगर लागत की बात की जाये तो जीरा की खेती की लागत इस प्रकार है –

  • जमींन को तैयार करने में – 5,000 रुपया। 
  • बीज की कीमत – 3,000 रूपये। 
  • मैनूर – 5,000 रूपये। 
  • पौधो को प्रोटेक्शन में – 5,000 रूपये। 
  • पानी का छिड़काव में – 5,000 रूपये। 
  • मजदूरी चार्ज – 15,000 रूपये। 
  • अन्य खर्च – 5,000 रूपये। 
  • पैकेजिंग सामग्री में – 3,000 रूपये। 
  • हार्वेस्टिंग में – 4,900 रूपये। 
  • कुल खर्च – 53,990 रूपये। 

जीरा के खेती में आमदनी और कमाई। 

किसान भाई बहनो को 1 किलो की जीरा का कीमत तकरीबन 140 रूपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। तो फिर अगर आप पाँच क्विंटल का जीरा का उत्पाद करते हैं तो फिर उस हिसाब से आपको 500×140 = 70,000 रूपये की आमदनी होगी यानी आपको लगभग एक क्विंटल में 16,000 रूपये की आमदनी होगी। 

दोस्तों अगर आपको जीरे की खेती से सम्बंधित और कोई साल पूछना है तो आप हमे कमेंट में जरूर पूछे हम हर कमेंट का जवाब देते है। तथा अगर आप जीरे की खेती पहले से करते हैं तो आप जीरे की खेती के बारे में अपना एक्सपीरियंस जरूर शेयर करें। तब तक के लिए हमारा यह लेख पढ़ने के लिए आप सभी भाई बहनो का बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्तों जय जवान जय किसान। 

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