जामुन की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी।

जामुन की खेती कैसे और कब करें

जामुन भारत में एक स्वदेशी और व्यावसायिक फसल के रूप में जाना जाता है। जामुन का पेड़ बहुत ही लंबा और हमेशा सदाबहार रहता है। इसका पेड़ आमतौर पर हवा रोकने और छाया के रूप में प्रयोग किया जाता है। जामुन के पेड़ भारत के सभी राज्यों में लगाई जाती है, जामुन का फल मधुमेह रोगियों के लिए बहुत ही कारगर साबित होता है।

बाजार में जामुन की कीमत अंचलों से ज्यादा होती है और साथ ही पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भारत में जामुन के अलग-अलग नाम है जैसे राम जामुन, भारतीय काली चेरी और भारतीय काली बेर। जामुन की खेती छोटे किसान भी कर सकते हैं और साथ ही अच्छे मुनाफे का भी उम्मीद रख सकते हैं।

जामुन से हमें क्या स्वस्थ लाभ है।

  • जामुन से मधुमेह रोगियों का शुगर बीमारी नियंत्रित में रहती है।
  • जामुन खाने से हमारा रक्त भी शुद्ध होता हैं।
  • जामुन से हमारे आंखों और त्वचा का स्वास्थ अच्छा होता है।
  • जामुन हमारे पाचन संबंधित बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।
  • जामुन किडनी में हुई पथरी को ठीक करने में मदद करता है।
  • जामुन साथ ही हमें कैंसर के रोग से भी बचाता है।

भारत में जामुन की प्रमुख उत्पादन करने वाले राज्य।

जामुन की फसल पूरे भारत में की जा सकती है और इसकी खेती भारत में बहुत ज्यादा मात्रा में की भी जाती है। विश्व भर में भारत जामुन के उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है। भारत में सबसे ज्यादा जामुन की उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में किया जाता है। महाराष्ट्र के बादभारत के उत्तर प्रदेश, तमिल नाडु, गुजरात, आसाम और अन्य राज्य आते हैं।

भारत में जामुन के स्थानीय नाम।

भारत में अधिकतर राज्य में अलग-अलग भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, जिसमें जामुन को हर एक राज्य में और भाषाओं में अलग-अलग नामों से बुलाई जाती है। इंडियन ब्लैक प्लम/इंडियन ब्लैकबेरी (अंग्रेजी), जामुन/जामुन (हिंदी), जंभूल (मराठी), जम्बू (गुजराती), नेराले हन्नू (कन्नड़), नागा पझम (तमिल), नेरेडुपांडु (तेलुगु) ) नवल पझम (मलयालम), जाम (बंगाली)।

भारत में जामुन की किस्में।

जामुन की खेती में कोई अलग और उन्नति किस में विकसित नहीं हुई है। उत्तर भारत में इसकी फसल की जाने वाली सबसे आम किस्म राम जामुनि या राजा जामुन है। इस प्रकार के किस्म में फल कभी छोटा होता है और बुरे की मात्रा अच्छी होती है और साथ ही इसका आकार भी बड़ा होता है।

यह सवाल बहुत ही स्वादिष्ट और रसीला होता है। यह जामुन की किस आमतौर पर मनसूर महीने के पहले जून जुलाई महीने में पक जाती है। जामुन का एक किस्म वाराणसी और यूपी में पाया जाता है जिसमें कोई बीज नहीं रहता है। जामुन का एक किस्म पकने में देरी करता है जो आकार में छोटा और उसके बीज बड़े होते हैं। इस प्रकार के जामुन अगस्त के महीने में पक के तैयार हो जाते हैं।

जामुन के फसल के लिए सबसे अच्छा मौसम कौन सा है।

जामुन एक कठोर फल है जो ट्रॉपिक और सब ट्रॉपिकल मौसम में अच्छे तरीके से बढ़ते हैं। जामुन के फूल आने और फल लगने के समय गर्मी का मौसम को बेहतर माना जाता है। सब ट्रॉपिकल जगहों पर शुरुआती बारिश फलों के लिए उचित विकास के रूप में मदद करते हैं।

जामुन की खेती में आवश्यक मिट्टी।

जामुन के पेड़ को हर एक प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन अच्छी जामुन उपाय और पौधों की वृद्धि के लिए दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी बहुत उपयोगी साबित होती है। जामुन के पेड़ जलभराव और लवणता की स्थिति में अच्छी तरीके से पनपती है। साथ ही इन पौधों को हल्की रेतीली मिट्टी और भारी रेतीली मिट्टी पसंद नहीं है। मिट्टी की चयन करते समय हमें इसकी नमक पर भी ध्यान रखनी चाहिए जिससे इसकी अच्छी वृद्धि हो सके। जामुन के पेड़ 6.5 से 7.5 पीएच रेंज की मिट्टी में अच्छी तरीके से बढ़ते हैं।

जामुन की खेती में रोपाई कैसे करें।

जामुन के पेड़ हम लोग वसंत महीने यानि फरवरी से मार्च और मानसून के मौसम यानी जुलाई से अगस्त महीने में लगा सकते हैं। वसंत के मौसम में लगाए गए पैरों को गर्मी से सहने के लिए और जीवित रहने के लिए पर्याप्त सिंचाई करनी होती है।

जामुन की रोकने की योजना बनाने से पहले मुक्त जमीन को साफ कर लेना होता है और अच्छी तरीके से जुताई कर लेनी चाहिए। हमें जमीन में 1 मीटर के गड्ढे बना लेनी चाहिए और एक गधे से दूसरे गड्ढे की दूरी 10 मीटर के लगभग रखनी चाहिए। गधे के ऊपर मिट्टी में हमें अच्छी फॉर्म खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। एक हेक्टेयर जमीन में लगभग 125 से 160 पौधों को लगा सकते हैं।

जामुन की खेती में सिंचाई कैसे करें।

जामुन के युवा पौधों को शुरुआती दिनों में बार-बार सिंचाई करने आवश्यक होती है लेकिन बाद में इसकी सिंचाई कम कर देनी चाहिए। शुरुआती अवस्था में पौधों को लगभग प्रतिवर्ष 12 बार सिंचाई करनी चाहिए, यानी 1 महीने में एक बार आप इसकी सिंचाई करें। बड़े हो जाने वाले पेड़ो को साल में 2 महीने पर एक बार सिंचाई करना आवश्यक होती है। जब पेड़ में फल लगने लगते हैं तो यह आवश्यक हो जाती है कि इसकी नीति हमेशा नम स्थिति में रहे जिससे मीठी सूख जाने पर आपको समय समय पर सिंचाई करनी होती है।

जामुन की खेती में कटाई कैसे करें।

जामुन के पेड़ लगभग 9 से 10 साल के बाद फल देना शुरू कर देते हैं। ग्राफ्टेड या बडेड पेड़ 5 से 7 साल में फल देते हैं। जामुन का एक पेड़ लगभग 60 वर्ष तक जीवित रह सकता है। जामुन के आमतौर पर जून से जुलाई महीने तक पकना शुरू हो जाते हैं।

फूल खिलने के बाद जामुन के फलों को पकाने में लगभग 4 से 5 महीने का समय लगता है। पूरी तरह से पके हुए जामुन को आप रोजाना पेड़ से तोड़ सकते हैं। इसकी डालियां को हिलाकर या हाथ से उठाकर पॉलिथीन सीट पर आप इसे इकट्ठा कर सकते हैं। पीर के सभी फल एक साथ नहीं सकते हैं इसलिए इसकी तूराई हमेशा आवश्यक होती है।

निष्कर्ष :

दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको जामुन की खेती के बारे में विस्तार से बताएं हैं। अगर आप जाओ उनकी पेड़ लगाना चाहते हैं या साथ ही इसकी खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए आवश्यक साबित हो सकती है। इससे जुड़ी आपके मन में और भी पसंद है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। साथ ही आप अगर और भी फल यह सब्जियां की खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे वेबसाइट पर जरूर आए। इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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