
हल्दी की खेती में क़रीब ढाई हजार किलोग्राम रायडा लगते हैं। एक हैक्टेयर में हल्दी को उगाने के लिए यह ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल दोनों में उगाया जाता है और अगर इनको खुली जगह और अच्छी धूप में उगाया जाए तो बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। हल्दी की खेती के लिए एक अच्छी और एक बढ़िया मिट्टी की ज़रूरत होती है जो कि न्यूट्रिएंट सूरज हो और जो हल्दी के लिए उन्हीं का इस्तेमाल किया जाता है।
हल्दी की खेती किस महीने में की जाती है?
इसको ज़्यादातर मई से जून या फिर जुलाई से अगस्त के महीने में लगाया जाता है। उसी के साथ साथ पानी उधर के मौसम के हिसाब से ही दिया जाता है। अगर उधर बारिश अच्छी होती है तो फिर क़रीब 15 से 25 बार ही पानी दिया जाता है। पर वहीं कुछ जगहों पर 35 से 40 बार भी दिया जाता है। हल्दी को ज़्यादातर मिर्ची, लहसून यानी की गार्लिक, मिर्ची आदि के साथ उगाया जाता है। वहीं पर कुछ जगह इसको अदरक के साथ उगाना भी पसंद किया जाता है।
हल्दी की खेती में खाद का किस तरह से इस्तेमाल करें?
खाद के तौर पर फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड जैसी चीजों का छिड़काव किया जाता है जिससे फसल को उगने में कोई दिक्कत ना हो। हल्दी को ज़्यादा मात्रा में खाद चाहिए होता है जिसके लिए क़रीब 2 से 3 टन खाद पर एकड़ में लगता है। जब पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और सूखने लगती हैं तो इसका मतलब यह है कि अब वो मैच्योर हो गई हैं। इसके बाद उनको निकाल लिया जाता और फिर साफ कर दिया जाता है। इनको निकालने के बाद फ़िर से पानी में डाल दिया जाता है जिधर उनको उबाला जाता है और धूप में फिर से सुखा दिया जाता है।
हल्दी को पानी में डाल कर उबाला क्यों जाता है?
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसा करने से हल्दी जल्दी सूखेगी नहीं और ज्यादा समय तक चलेगी। इन्हें क़रीब 40 से 60 मिनट तक उबाला जाता है। जब तक वह साफ नहीं हो जाते तब तक इसको मिट्टी से निकालने के बाद 2 से 3 दिन में उबालना ज़रूरी होता है जिसके बाद इसको धूप में सुखाने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसका उत्पादन क़रीब 8 से 10 हज़ार किलो पर एकर हो सकता है और कभी कभार यह 12 हज़ार किलो पर एकर भी हो जाता है। तो दोस्तों यह था इसका पूरा प्रोसेस। आशा करता हूँ आपको अच्छे से पता चल गया होगा की हल्दी को कैसे उगाया जाता है।
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