जानिये कैसे की जाती है केसर की खेती, और कितनी होती है इससे कमाई?

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जानिये कैसे की जाती है केसर की खेती, और कितनी होती है इससे कमाई?

भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। कृषि यानी किसान जो खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है। लोगो की भूख तो कृषि के मध्यान से ही मिटती है। ऐसे में आप कई प्रकार के खेती करके बहुत ज़्यादा पैसे कमा सकते है जैसे – सैफरन (केसर), मशरूम, गेहूं, रूई इत्यादि। उन्ही में से एक फसल है केसर की खेती, जो भारत में बहुत ही कम स्तर पर किया जाता है। आप केसर की खेती कर के हर महीना अच्छा – ख़ासा पैसे कमा सकते हैं। 

केसर की खेती के विषय में अधिक जानकारी। 

केसर का मूल्य बहुत अधिक है इसलिए इससे लाल गोल्ड भी कहा जाता है। यह इंसान के शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है। यह अपनी अनोखी ख़ुशबू और ख़ास तरह के गुणों के लिए जानी जाती है। औषधीय और गुणकारी पौधा होने के कारण इसका उपयोग प्राचीन काल से ही किया जाता है। केसर का इस्तेमाल करने से हृदय सम्बंधित रोग नहीं होते। केसर हमारे रोज़गार के जीवन में भी बहुत प्रयोग में आता है जैसे की इसको साबुन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है व सौंदर्य प्रसाधन की चीज़ो में भी।

केसर की खेती कैसे होती है?

आपको बता दें की इसकी खेती मुख्य रूप से यूरोप और एशिया विभागों में की जाती है। हालाँकि ईरान और स्पेन जैसे देश केशर की फसल से पूरी दुनिया का 80% तक का केसर उत्पादित करते है। जो की यह बहुत ही ज्यादा मात्रा में उत्पादित करती है। आपको बता दें की केसर की फसल समुद्र तल से 1000 से 2500 मीटर की उचाई पर उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए बर्फ़ीलो देशों को उचित माना जाता है। भारत देश में कश्मीर राज्य में इसकी सबसे ज्यादा खेती की जाती है। 

केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी क्या है?

केसर की खेती में रेतीली चिकनी , बलुई और दोमट मिट्टि का उपयोग किया जाता है लेकिन वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए इसकी खेती को राजस्थान जैसे विभागों में भी किया जा रहा है। इसके लिए जगह ज़्यादा जलभराव वाला नहीं होना चाहिए क्योकि ऐसी स्थिति में इसके बीज सड़कर नष्ट हो जाते है। हालंकि केसर की खेती ज्यादातर बर्फीली इलाकों में अच्छे से किया जाता है। इसलिए शिमला, कश्मीर जैसे इलाके और वहाँ की मिटटी केसर की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल होती है। 

केसर की खेती के लिए उचित जलवायु और तापमान क्या चाहिए?

इसकी खेती बर्फ़ीले शहरों में अधिक पाई जाती है, इसका उत्पादन सर्दी , गर्मी व बारिश तीनों ही जलवायु में होता है। पर सबसे ज्यादा उत्पादन ठण्ड के मौसम में अच्छा होता है। केसर की हेति में जब सूर्या की गर्मी से बर्फ़ पिघलने लगती है और ज़मीन सूखने लगती है तब इसके पौधे में फ़ुल आना आरंभ होते है , इन्ही फूलों में केसर लगता है। हालाँकि सैकड़ो फूलो से महज कुछ ग्राम केसर निकलता है। इसलिए केसर बहुत ही ज्यादा महंगा होता है। अगर तापमान की बात की जाए तो लगभग 20 डिग्री के तापमान पर केसर के पौधे अच्छे से वृद्धि करने लगते हैं। तथा 10 – 20 डिग्री के तापमान पर केसर की फूल बनने लगते है ।

केसर की खेत जुटाई का तरीक़ा। 

केसर की खेती में खेत की बहुत ही गहरी तरह से जुताई करनी होती है। खेत की जुताई करने के बाद खेत को अच्छी तरह से जोतकर उचित मात्रा में उवर्रक मिलाया जाता है। इस तरह से केसर की खेती की लिए जमींन को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है, क्योंकि केसर की पौधे में एक सबसे अच्छी बात यह भी है  एक बार केसर के पौधे लग जाने पर कई बार फसल देते है | केसर की खेती के लिए अगस्त का महीना सबसे अच्छा महीना होता है। 

केसर की तुड़ाई और सुखाई कैसे करे ?

अगर आप अगस्त के महीने में केसर के पौधे खेत में रोपाई करते हैं तो रोपाई करने के तीन से चार माह पश्चात केसर के खेत से केसर फूल देने लायक हो जाते है | केसर के पौधों में लगे फूलों पर जब पंखुडिया लाल व भगवा रंग की दिखाई देने लगटा है तब उन्हें तोड़ कर जमा कर लेना होता है | इसके बाद तोड़ी गयी इन पंखुड़ियों को किसी छायादार स्थान पर सूखा लिया जाता है | केसर के पूरी तरह से सूख जाने पर उसे किसी बर्तन में रख कर, उससे केसर निकाला जाता है। आपको बता दें की एक बीघा केसर की खेत से तकरीबन 15 से 20 किलो तक उताप्दन देखने को मिलता है।  

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