
जब सीजन से पहले फल और सब्जियां मार्केट में आपको दिख जाती हैं तो एक बार के लिए आप उनकी कीमत तो ज़रूर से पूछते ही हैं। महंगी होने के बावजूद भी कई बार ज़रूरत पड़ने पर आपको उन्हें खरीदना भी पड़ता है। कभी आपने सोचा है यह होता कैसे है? मतलब मौसम से पहले इन्हें उगाया कैसे जाता है? तो ये उगाए जाते हैं पॉली हाउस में।
पॉली हाउस या ग्रीन हाउस बनता कैसे है?
आज इस लेख में हम केस स्टडी डीटेल्स के साथ बताएंगे कि पॉली हाउस या ग्रीन हाउस बनता कैसे है और इसमें खेती कैसे होती है। तो लंच या डिनर खाने में एक सब्जी बनी हो तो हम अक्सर पूछ ही लेते हैं मां आज एक ही सब्जी बनी है क्या? बिना दो तीन सब्जियों का खाना हम इंडियन्स को पसंद है ही नहीं। इसलिए हमारे यहां सब्जियों की खपत काफी है।
पाली हाउस से कितना उत्पादन होता है?
प्रोडक्शन की बात करें तो नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के नेशनल हॉर्टिकल्चर डेटाबेस 2019 से 2020 के मुताबिक इंडिया में हर साल लगभग 100 मिलियन मैट्रिक टन दूध और लगभग 192 मिलियन मैट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है। इसमें एक बड़ा हिस्सा पॉलीहाउस में भी उगाया जाता है। दरअसल, पॉली हाउस में उगाई सब्जियों की कीमत भी ज्यादा होती है। इसलिए इससे मिलने वाले मुनाफे को देख किसानों का इंट्रेस्ट पॉली हाउस फार्मिंग में बढ़ा है।
पाली हाउस बनता कैसे है?
पॉली हाउस फार्मिंग के फायदे की बात करें तो पॉली हाउस बनता कैसे है, इस पर जरूर आएंगे, पर उससे पहले इसके फायदे सुन लीजिए ताकि आपको इसके बढ़ते ट्रेंड की वजह पता लग जाए। पॉली हाउस के अंदर टेंपरेचर कंट्रोल किया जाता है। अंदर का तापमान नियंत्रित होने की वजह से फल सब्जियों को नुकसान कम पहुंचता है।इसलिए फाइनेंशल लॉस के चांसेज घट जाती हैं। इसमें सालभर सब्जियां उगाई जाती हैं। मौसम बदलने का इंतजार नहीं करना पड़ता है।
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