
स्टीविया लगभग सभी क्षेत्रों में अपनाया जा सकता है। स्टीविया ज्यादा छाया पसंद पौधा नहीं है अतः इसे खोले ही लगाया जाना चाहिए क्योंकि ज्यादा छाया या शेड होने से पौधों का विकास बाधित हो जाता है तथा उनका स्टीविया साइड तत्व भी प्रभावित हो जाता है। स्टीविया के व्यवसायिक कृषिकरण की दृष्टि से यह आवश्यक है कि ऐसी उपयुक्त प्रजाति का ही चयन किया जाए जो संबंधित क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हो। इस विधि में अच्छी बात यह है कि इसके पौधे को गन्ने की अपेक्षा पाँच फीसदी कम पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन बुरी बात यह है कि एक एकड़ की खेती के लिए आपको कम से कम 40,000 पौधे लगाने होंगे।
स्टेविआ की खेती में कितना का खर्च आता है?
इसमें लगभग ₹1 लाख का खर्चा आएगा। गन्ने की अपेक्षा है कि किसान स्टीविया की खेती से 40 गुना कमा सकता है। एक पौधे से आप दो डॉलर या कहीं ₹125 तक की कमाई एक बार में ही कर सकते हैं। एक बार लगाने के बाद कम से कम पांच साल आप इसकी खेती से बढ़िया लाभ कमा सकते हैं। अब हमने स्टीविया की खेती तो कर दी, अब हम यह जान लेते हैं कि इसको कमर्शियली कैसे उपयोग में लाया जाता है। जब फसल की पहली कटाई रोपण के बाद चार महीने में ही की जा सकती है और उसके बाद हर तीन महीने में एक बार कटाई की जा सकती है। आमतौर पर फसल के 40 से 60 दिनों के बाद आप अगले एक के लिए जा सकते हैं।
स्टेविआ की हार्वेस्टिंग कब की जाती है?
स्टीविया की कटाई सुबह जल्दी करनी चाहिए जब उसमें चीनी की मात्रा सबसे अधिक हो। ठंडे तापमान और छोटे दिन स्टीविया की मिठास को बढ़ाती हैं। एक वृक्षारोपण चक्र से एक किसान तीन फसलें पैदा कर सकता है। प्रत्येक फसल चक्र को तीन चार महीने के अंतराल के साथ किया जा। न चाहिए। पत्तियों को सुखाने के लिए तनों को छोटे छोटे बंडलों में बांधे और उन्हें एक ठंडे, अंधेरे और अच्छी तरह हवादार कमरे में उल्टा लटका दें, जब तक कि पत्तियां सूख न जाएं। जब हरी पत्तियां सूख जाएं तो पत्तों को तनों से हटाकर एयरटाइट डिब्बे में भरकर रखें। उपयोग करने से पहले इन्हें पीसकर पाउडर बना लें।
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