
केला जिसे हम बहुत चाव से खाते हैं और जो एनर्जी का सोर्स भी है उसकी खेती करके हम एक अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं। केला भारत में बहुत ज्यादा तादात में उगाया जाता है और फलों के मामले में यह आर्थिक रूप से भी बहुत फायदेमंद है। भारत में खेती की कुल जमीन का 20% हिस्सा केले की खेती में ही उपयोग किया जाता है। तकनीकी तौर पर देखें तो केले की खेती में बहुत सुधार हुए हैं। खासतौर पर टिशू कल्चर के टेक्नॉलॉजी से केले की फसल में बहुत फायदा हुआ है। साथ ही टिशू कल्चर द्वारा तैयार किए गए केले के पौधों का उत्पादन और उनकी गुणवत्ता बहुत बेहतर रहती है।
केले की खेती किस प्रकार की मिटटी में करे?
इन सभी कारणों के चलते केले की फसल लगाने से आपको कम लागत के चलते अच्छा मुनाफा मिल सकता है। तो एक नज़र इस पर भी डाल लेते हैं कि केले की फसल को लगाने के लिए मिट्टी और जलवायु किस प्रकार की होनी चाहिए। केले की फसल के लिए मिट्टी में 40% तक केले, 75% सिल्ट और 85% नमी होनी चाहिए। भूमि का पीएच छह से साढ़े छह तक होना चाहिए। उच्च नाइट्रोजन युक्त मिट्टी, पर्याप्त फॉस्फोरस और उच्च स्तर की पोटाश वाली मिट्टी में केले की खेती बहुत अच्छी होती है। तो अगर आप ऐसे ही इलाके में रहते हैं या फिर इन कंडिशन्स को मेंटेन कर सकते हैं तो यकीनन केले की खेती आपके लिए जैकपॉट से कम नहीं है।
केले की खेती के लिए कौन सी वैरायटी सबसे अच्छी है?
अब जब हमने यह समझ ही लिया कि केले की खेती के लिए किस प्रकार के परिवेश की आवश्यकता है, तो आइए यह भी जान लेते हैं कि केले की ऐसी कौन सी मशहूर वैरायटी है, जिसकी खेती आप कर सकते हैं। इनमें साबा, ग्रांड नेन और कैवेंडिश सबसे ज्यादा लगाई जाती हैं क्योंकि इन वैराइटीज का यील्ड पर हैक्टेयर काफी अच्छा रहता है। ग्रांड नेन जिसको आमतौर पर जीन के नाम से जाना जाता है, सबसे मशहूर वैरायटी है। इसके अतिरिक्त ड्वार्फ वेंडर्स, कार्थी, सफेद वेलजी, राजस्थानी आभा, तनु आदि कुछ और ऐसी वरायटी हैं, जो भारत के किसान देश के अलग अलग हिस्सों में उगाते हैं।
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