
एलोवेरा की खेती के लिए यदि वर्षा क्षेत्र है तो ऐसी भूमि का चुनाव करें जो थोड़ी ढलानदार हो ताकि वर्षा होने पर वर्षा का पानी इकट्ठा न हो। सही भूमि का चयन करने के बाद खेती के लिए जमीन को तैयार करना होता है। इसके लिए मॉनसून के पहले से अपनी तैयारी चालू कर दें। जमीन की जुताई अच्छे से करें जिससे जमीन में मौजूद मिट्टी के धेले कम से कम रहें। फिर कम से कम छह सात टन खाद मिलाकर फिर से जुताई करें।
एलोवेरा की पौधे की बुवाई किस प्रकार करें?
एलोवेरा की बुआई करते समय पौधों के बीच आपस की दूरी का विशेष खयाल रखना चाहिए। एलोवेरा के पौधे के बीच कम से कम 40 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए, क्योंकि जब यह पौधे बड़े होते हैं तो पौधे आपस में टकराते नहीं, जिससे इनका विकास निरंतर होता रहता है। साथ ही एक पौधे की बीमारी दूसरे पौधे तक जल्दी नहीं पहुंचती। बिजाई के तुरंत बाद एक सिंचाई करनी चाहिए। बाद में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। समय समय पर सिंचाई से पत्तों में जल की मात्रा बढ़ती है।
एलोवेरा के पौधे को कीड़ो से कैसे बचाये?
फसल कोई भी हो, कीड़ों का खतरा तो बना ही रहता है। एलोवेरा पौधों के लिए मीली कीड़ा पौधे को कुरेद कर नष्ट कर देता है। इसलिए पौधे को कीड़े से बचाने के लिए उचित समय पर सही कीटनाशक का छिड़काव करें। आप 0.2% मैलाथियान को सोल्यूशन या 0.1% पैराथियान कीटनाशक का छिड़काव करें और हफ्ते में एक बार 0.2% डायथेन एम 45 का भी छिड़काव करें। इससे आपके पौधे में कीड़ा नहीं लगेगा और इसके बाद सिर्फ पैसे गिनने का काम शुरू कर सकते हैं। एलोवेरा का पौधा 7 से 8 महीने में तैयार हो जाता है।
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