
गन्ने की खेती कई प्रकार से की जाती है। सबसे पहला तरीका है की गन्ने को बोने के लिए इसी को जमीन में गाड़ दिया जाता है। दूसरा तरीका फ्रूट रोपण का होता है। इस तरह की रोपाई में नाली को तैयार किया जाता है। यह नालियां दो से ढाई फुट की दूरी पर बनाई जाती हैं। इन नालियों में बीज को एक फुट की दूरी पर लगाना होता है और नालियों के अंत में जल को रोकने के लिए आडी बनाई जाती है। ताकि कम बारिश होने पर भी खेत में पानी की कमी ना हो और अगर ज्यादा पानी हो तो एक साइड से इसे खोल दिया जाता है।
गन्ने की खेती के लिए किस तरह का मिट्टी की आवश्यकता होती है?
तीसरा तरीका ट्रेन रोपण का होता है। तटीय क्षेत्र में जहां फसलें लंबी हो जाती हैं और बारिश के मौसम में तेज हवाएं चलने लगती हैं, ऐसे इलाकों में फसलों को बचाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। गन्ने की खेती में 70 से 90 सेंटीमीटर की दूरी पर 20 से 25 सेंटीमीटर की नालियां बनाई जाती हैं। फिर इनमें उर्वरकों का इस्तेमाल करके बाद में इसे समतल बुआई वाली जगह पर हल्की मिट्टी से भर दिया जाता है। फिर ट्रैक्टरों और मशीनों से बीजों की बुआई की जाती है। गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई भी काफी मायने रखती है। गन्ने की खेती नम भूमि में की जाती है, इसलिए इसकी शुरुआत में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।
गर्मियों के मौसम में गन्ने की खेती किस प्रकार करें?
लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे हफ्ते में एक बार पानी देना होता है और वहीं सर्दी में 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी देने की आवश्यकता होती है और बारिश के मौसम में पौधों की रोपाई सिर्फ आवश्यकता पड़ने पर ही की जाती है। अब जब एक बार गन्ने की कटाई हो जाती है, जैसे ही गन्ने को गठरी में बांध दिया जाता है, फिर उसे डायरेक्टर में लादकर शुगर फैक्ट्री या फिर मंडियों में ले जाया जाता है। शुगर फैक्ट्री में उसकी चीनी बन जाती है और मंडियों में ले जाए जाने वाला जूस को रेहड़ियों या फिर आम लोगों तक पहुंचाया जाता है।
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