
दोस्तों मोती को जिस पानी में उनको रखा हुआ है अगर वह गंदा है तो उससे सारे ओएस्टर मर भी सकते हैं। जिसकी वजह से सारी मेहनत बेकार जा सकती है। अप्रैल के लास्ट तक आते आते जो भी स्टोर्स दो एमएम से बड़े हो जाते हैं, उन्हें उधर से ले जाकर समुद्र में छोड़ दिया जाता है। जिसके कुछ महीनों बाद करीब अगस्त के महीने में यह ऑयस्टर बनकर एक सिक्के जितने साइज के हो जाते हैं।
कैसे की जाती है मोती की देख – रखाव?
अभी भी इनका सफर खत्म नहीं हुआ और इनके पास किसानों को जो इनकी खेती कर रहे हैं उनको इन पर और ज्यादा ध्यान देना पड़ता है क्योंकि इनके ऊपर लगे हुए पैरासाइट इन्हें खराब न कर दें। इसलिए उनके ऊपर से इन पैरासाइट्स को खुद हाथों से हटाना पड़ता है। जिन स्टोर्स पर से ये पैरासाइट हटा दिए जाते हैं, उनको एक जाली में भर दिया जाता है और फिर उन्हें पानी में डुबो दिया जाता है, जहां पर वे पानी में थोड़ा और समय बिताते हैं।
मोती की खेती करते वक़्त किस बात का ध्यान रखें?
यह सब करने के बाद उनको जालियों से निकालकर एक कंटेनर में भर दिया जाता है। जहां पर कोई भी छेद नहीं होता। जिसकी वजह से ऑयस्टर उसमें ना ही सांस ले पाते हैं और ना ही खाना खा पाते हैं। जिसकी वजह से वे अपने स्पर्म एग्स रिलीज करते हैं। इन सब के बाद उस ऑयस्टर को अलग ले लिया जाता है जिधर उसके शेल को खोल दिया जाता है और उधर एक स्टॉपर जैसी चीज़ लगा दी जाती है जो कि बहुत ही ज़रूरी होती है।
मोती की पोलिश कैसे की जाती है?
जिसके बाद उन शैल्स को लिया जाता है और छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है। जिसके बाद उसका पॉलिश किया जाता है और पॉलिश करके उनको एक गोल आकार दे दिया जाता है। अभी भी आपका मोती नहीं बना है। अभी फिर से उन गोल चीजों को सेंटर में वापस एकदम ध्यान से डाल दिया जाता है और ऐसे डाला जाता है कि वह ओएस्टर के साथ अटैच हो जाए।
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