इमली की खेती कैसे और कब करें, संपूर्ण जानकारी।

इमली उन पौधों में से एक है जिसका उपयोग भारत में करी, चटनी, सॉस और सुप मेथी और खट्टे स्वाद के लिए किया जाता है। इमली प्रकृति मैं मीठी और अम्लीय होती है। इमली के गुदे में रेचक गुण होते हैं। भारत देश में इसके कोमल पत्तियों, फूलों और बीजों का प्रयोग सब्जियां बनाने में किया जाता है। इसका गिरी के पाउडर का इस्तेमाल चमड़ा और कपड़ा उद्योग में आकार देने वाली सामग्री के रूप में भी किया जाता है। इमली के बीजों से तेल निकाला जाता है जिसका प्रयोग पेंट में होता है। भारत भर में इमली की खेती अधिकतर सारे राज्यों में की जाती है। लेकिन अत्यधिक उत्पादक वाली राज्य बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश है।

इमली से हमारे स्वास्थ्य को क्या लाभ पहुंचता है।

इमली खाने से हमें कई तरह के रोग से छुटकारा मिल सकता है और साथ ही यह हमारे शरीर को स्वस्थ भी रखता है।

  • इमली खाने से हमारा पाचन क्रिया सुधरता है।
  • इमली दिल की सेहत के लिए भी अच्छी साबित होती है।
  • इमली में आयरन की मात्रा अधिक होती है जिससे ब्लड सरकुलेशन भी अच्छा रहता है।
  • इमली हमारे वजन घटाने में भी मदद करता है।
  • इमली खाने से हम लोग मधुमेह से भी बच सकते हैं।

भारत में इमली के स्थानीय नाम।

भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है जिससे अधिकतर राज्यों में इमली को अलग नामों से पुकारा जाता है। इमली (हिंदी, पंजाबी), तेतुल (बंगाली), अमली (गुजराती), हुनिसे हन्नू (कन्नड़), तंबर (कश्मीरी), पुली (मलयालम, तमिल), चिंता पांडु (तेलुगु), चिंच (मराठी), और तेनटुली (उड़िया).

भारत में इमली की प्रमुख उत्पादक राज्य।

भारत भर में इमली की खेती तो अधिकतर सभी राज्यों में की जाती है। लेकिन भारत में ऐसे भी राज्य है जिनमें इसकी खेती प्रमुख रूप से की जाती है, जैसे –

  •  ओडिशा
  •  बिहार
  •  महाराष्ट्र
  •  तमिल नाडु
  •  तेलंगाना
  •  आंध्र प्रदेश
  •  हिमालय क्षेत्र

इमली की खेती के लिए आवश्यक मौसम कौन से हैं।

इमली का पौधा 0 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक की किसी भी प्रकार के जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकता है। इसको अच्छी तरह से बढ़ने के लिए साल में 5 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेंटीमीटर की औसत वार्षिक वर्षा की जरूरत रहती है। इसके पौधों को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। आमतौर पर इमली की पौधों की ऊंचाई समुद्री तट से हजार मीटर ऊपर होनी चाहिए।

इमली की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी।

इमली की खेती आप कई प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं। इमली के पेड़ गहरी दोमट और जलोद नीति में सबसे अच्छे से उगती है। इसकी खेती में यह सबसे अच्छा बात होता है कि यह खराब मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। इमली के पौधे 4.5 से 9.0 तक केमिति पीएच को सहन कर सकते हैं।

इमली के पौधों की बुवाई दूरी और रोपण।

इमली के बीजों को नर्सरी कौड़ियों में 25 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां बनाकर रोपा जाता है। इमली के बीज अंकुरित होने में लगभग 1 सप्ताह का समय लेते हैं और 3 से 4 महीने पुराने पौधों को मुख्य खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है। इनके पौधों के लिए हम लोग ग्राफ्टिंग और बोर्डिंग का उपयोग कर सकते हैं और साथ ही इन्हें पॉलिथीन बैग में भी उगाया जा सकता है।

इमली की खेती करने के लिए सबसे अच्छा समय जून महीने से लेकर नवंबर महीने तक रहता है। 1m ×1m ×1m आकार का गड्ढा 10 मीटर की दूरी पर खोदा जाना चाहिए। इसकी खेती में हम लोग खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। गोबर की खाद 15 से 20 किलो प्रति घंटा की ऊपरी मीटिंग में मिलाकर हमें इस्तेमाल करना चाहिए। खेत में रोपाई के बाद पौधों को स्थापित करने के लिए हमें बार-बार सिंचाई करनी होती है।

इमली की खेती में खाद और उर्वरक की आवश्यकता।

इसकी खेती में खाद के रूप में हम लोग अच्छी सड़ी हुई गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं। गाय के गोबर इसके लिए ज्यादा अधिक कारगर साबित होती है। इसे मिट्टी या जमीन तैयार करने समय इस्तेमाल किया जाता है।

इमली की खेती में सिंचाई कैसे करें।

मुख्य खेत में इसके पौधे को रुप से समय ही इसकी सिंचाई कर देनी चाहिए। इसकी खेती में हम लोग इसकी नीति की नमी देखकर इसकी सिंचाई करनी चाहिए। बरसात के मौसम में इमली के पौधे को ज्यादा सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जलजमाव के मामले में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका पानी अच्छी तरीके से मिट्टी से निकल रहा हो।

इमली की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें।

शुरुआती दौर में ही हमें इसके खेत को नदीन मुक्त कर देना चाहिए, और इसके लिए जमीन को दो बार जुताई करके अच्छी तरीके से भुरभुरी कर देनी चाहिए। माइक से हम लोग खरपतवारों की वृद्धि को रोक सकते हैं और साथ ही पानी की कमी को भी रोका जा सकता है।

इमली के फलों की तुलाई कब और कैसे करें।

इमली के खेती में अंगूरों से लगाए गए पौधे 8 वर्षों से उपवास देना शुरू कर देते हैं जबकि क्राफात और कलियों से उगाए गए पौधे 4 वर्षों में ही उपवास देना शुरू कर देते हैं। इमली की खेती में कटाई करने के रूप से हम लोग इसे हाथ से तोड़ सकते हैं यह छड़ी से मार कर इसे नीचे गिरा सकते हैं।

निष्कर्ष :

दोस्तों, ऊपर दिए हुए लेख में हम आपको इमली की खेती करने से जुड़ी सारी जानकारियों के बारे में विस्तार से बताएं हैं। अगर आप मिली की खेती या इसका पेर रोकना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए  मददगार साबित हो सकता है। साथ ही अगर आपके मन में इससे जुड़ी और भी प्रश्न है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अन्य भी सब्जी और फल की खेती से जुड़ी जानकारी के बारे में जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर दोबारा जरूर आए। आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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