
परिचय – गेहूं भारतीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण फसल है जो खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी उन्नत खेती के लिए सही मात्रा में पोषण आवश्यक होता है, और यूरिया उस मात्रा में एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि गेहूं की फसल में यूरिया कितनी बार और कब डालें और इसके प्रमुख फायदे क्या हो सकते हैं।
यूरिया का महत्व।
गेहूं की फसल में यूरिया का महत्व क्या है और यह पौधों के विकास में कैसे मदद करता है?
सही मात्रा की आवश्यकता।
गेहूं की फसल को पोषित करने के लिए यूरिया की सही मात्रा क्या होनी चाहिए और यह कैसे निर्धारित की जा सकती है?
यूरिया की प्रमुख फायदे।
यूरिया के उपयोग से गेहूं की फसल को कैसे लाभ हो सकता है, और यह किस प्रकार पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है?
उपयुक्त समय।
यूरिया को फसल में डालने का सही समय क्या होता है और इसका क्या महत्व है?
प्रयुक्ति की विधियाँ।
गेहूं की फसल में यूरिया को कैसे प्रयुक्त किया जा सकता है, और यह किस तरीके से सबसे अधिक प्रभावी होता है?
यूरिया का महत्व।
गेहूं की फसल के लिए यूरिया एक महत्वपूर्ण खाद्य होता है। यह पौधों के विकास में सहायक होता है, विशेष रूप से उनके हरित भागों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।
सही मात्रा की आवश्यकता।
गेहूं की फसल को पोषित करने के लिए यूरिया की सही मात्रा का पालन करना महत्वपूर्ण है। सामान्यत: 1 हेक्टेयर फसल के लिए 150-200 किलोग्राम यूरिया का उपयोग किया जाता है।
यूरिया की प्रमुख फायदे।
वृद्धि प्रोत्साहन: यूरिया पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है, जिससे उत्तम उपज प्राप्त होती है।
फूलों की गुच्छा: यूरिया सही मात्रा में प्रयुक्त करने से फूलों की गुच्छा में वृद्धि होती है, जिससे अधिक अंकुरण होता है।
उपयुक्त समय।
यूरिया को फसल में डालने का सही समय फसल के विकास के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सामान्यत: बुआई से 20-25 दिन बाद पहली बार और फिर 45-50 दिनों के बाद यूरिया का प्रयोग किया जाता है।
प्रयुक्ति की विधियाँ।
यूरिया को खेत में छिड़कने की विधियाँ विभिन्न हो सकती हैं, जैसे कि बूँद की विधि, खाद डालने की मशीनों का प्रयोग आदि। खेत की स्थिति, जलवायु और जैविक प्रणाली को ध्यान में रखकर सही विधि का चयन करें।
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