
दोस्तों भारत में मखाना काफी चाव से खाया जाता है। लेकिन यह किन परिस्थितियों से गुजरकर हमारे हाथों में आता है, इसका हमें जरा भी अंदेशा नहीं है। मखाना को देसी भाषा में लावा कहा जाता है, लेकिन यह कमल का बीज, ब्रोकली, लिली और फॉक्स नट्स इन नामों से भी मशहूर है। मखाना का उपयोग खीर, नमकीन और मसाले वाली सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। बिहार का मिथिलांचल क्षेत्र, इसका गढ़ और दरभंगा जिला इसका केंद्र बिंदु माने जाते हैं।
मखाना की खेती सबसे ज्यादा किस राज्य में होती है?
नेपाल की नदियों से बिहार में बाढ़ आती है, जिस कारण राज्य जमीन और तालाब में जल जमाव पूरे साल रहता है और मखाना की खेती आसानी से हो जाती है। भारत के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का 90% हाथ है। मखाना की खेती बिहार के रास्ते होते हुए उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है। लेकिन कम जानकारी होने के कारण यह प्रयोग इतना सफल नहीं रहा है।
बिहार में क्यों सबसे ज्यादा मखाना की खेती की जाती है?
मखाना की खेती कैसे करें दोस्तों मखाना की खेती मुख्य रूप से तालाब और जमीन इन दोनों जगहों पर की जा सकती है। अगर आपके खेत में जलभराव की समस्या है तो आप आंख बंदकर कर इसकी खेती कर सकते हैं क्योंकि इससे उथले पानी में पैदा हुई घास से निकालकर बनाया जाता है। बिहार के जिस जलीय घास में इसे उगाया जाता है उसे खुरपा अखरोट कहते हैं।
मखाना की खेती कीस सीजन में की जाती है?
शुरुआती दिनों में मखाना की खेती केवल एक ही सीजन में की जाती थी, लेकिन तकनीकी खामियां दूर होने के कारण साल में दो बार इसकी फसल उगाई जा सकती है। मखाना के लिए पानी का स्तर एक या दो फीट ऊंचा होना चाहिए। इससे ऊंचे स्तर में इसे उगाना काफी मुश्किल होता है। मखाना की खेती में जमीन तैयार करने की प्रक्रिया धान की खेती की तरह ही होती है। तालाब में इसकी खेती करने पर खाद की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि कीचड़ में पड़ी अन्य सड़ी घास या पत्तियां ही इसके लिए पर्याप्त होती हैं।
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