
तो आइए जानते हैं एलोवेरा फार्मिंग के बारे में। एलोवेरा की खेती में लागत और मेंटेनेंस का खर्च बहुत कम आता है क्योंकि यह पौधा रेतीली मिट्टी और शुष्क तापमान वाले इलाकों में बहुत तेजी से बढ़ता है। जिसके कारण इस पौधे को बहुत अधिक मात्रा में पानी देने की आवश्यकता नहीं होती और सिंचाई वगैरह का भी खर्च नहीं होता। तो मतलब यह है कि आपको एक बार लगाने के बाद सिर्फ आराम करना है।
एक हेक्टेयर एलोवेरा की खेती में कितनी लागत आती है?
एक हैक्टेयर में प्लांटेशन का खर्च लगभग 27 हज़ार ₹500 आता है। जबकि मजदूरी, खेत की तैयारी, खाद आदि जोड़कर पहले साल में खर्च ₹50,000 पहुंचाता है। एलोवेरा की खेती मुख्यतः राजस्थान, आंध्रप्रदेश, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में होती है। एलोवेरा की खेती करने से पहले आपको कुछ बातों की विशेष रूप से तैयारी कर लेनी चाहिए।
एलोवेरा की खेती करने की प्रक्रिया क्या है?
जैसे सही पौधे का चयन, खेती के लिए योग्य भूमि का चयन, माल की बिक्री के लिए कंपनियों से सेटिंग और सही समय पर कीटनाशक का छिड़काव इत्यादि। सबसे पहले हम योग्य भूमि का चुनाव कर लेते हैं। फिर सही पौधे का चयन करेंगे। अच्छे विकास के लिए एलोवेरा के पौधे को जुलाई अगस्त में लगाना उचित रहता है।
एलोवेरा की खेती में किस प्रकार की मट्टी चाहिए?
यह लेख को खत्म होते ही भागकर जाइए और एलोवेरा लगाने की तैयारी शुरू कर दीजिए। वैसे इसकी खेती सर्दियों के महीनों को छोड़कर पूरे वर्ष में की जा सकती है। एलोवेरा फार्मिंग करने के लिए सबसे पहले तो उचित भूमि का चयन कर लें। भूमि का चयन करते समय कुछ प्रमुख बातों का विशेष ध्यान रखा जाए। जैसे ऐसा क्षेत्र चुनें जहां पानी और नमी कम हो। भूमि की मिट्टी रेतीली होनी चाहिए।
इसे भी पढ़ें।