
परिचय – भारत में कृषि एक महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक, और आर्थिक गतिविधि है। गेहूं भारतीय खाद्य पदार्थों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह भारतीय खाद्य सिस्टम की प्रमुख फसलों में से एक है। बीघा में गेहूं की खेती की जाती है, लेकिन इसमें कितनी मात्रा मिलती है, इसका जवाब आपको यह आलेख पढ़कर मिलेगा।
गेहूं की खेती का महत्व।
गेहूं को “अन्नदाता” कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि यह भारतीयों के लिए प्रमुख खाद्य स्रोतों में से एक है। इसका उपयोग गेहूं के आटे से रोटी, ब्रेड, पास्ता, और अन्य व्यंजनों को बनाने में होता है। इसके साथ ही गेहूं से मैदा भी बनाया जाता है, जिसका उपयोग विभिन्न व्यंजनों में होता है।
बीघा में गेहूं की खेती।
बीघा मात्रक होता है जिसका उपयोग खेती में भूमि की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। भारत में बीघा की मात्रा राज्यों और क्षेत्रों के आधार पर भिन्न होती है। उच्चकोटि राज्यों में, एक बीघा की मात्रा करीब 1,600 वर्ग मीटर होती है, जबकि कुछ राज्यों में यह 5,000 से अधिक वर्ग मीटर तक हो सकती है।
गेहूं की उन्नत खेती के तरीके।
गेहूं की खेती को उन्नत और अद्भुत बनाने के लिए कई तरीके हैं। उन्नत खेती तकनीकियों का उपयोग करके किया जा सकता है जो फसल की पैदावार में वृद्धि करते हैं। किसानों को उन्नत खेती के लिए सहायता प्रदान करने वाले कई सरकारी योजनाएं भी हैं।
गेहूं के उपयोग।
गेहूं का उपयोग खाद्य सिस्टम में होने के साथ ही इसका उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी होता है। इससे आटा, मैदा, सूजी, और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं जिनका उपयोग विभिन्न व्यंजनों में होता है।
गेहूं की महत्वपूर्ण जानकारियाँ।
- गेहूं भारत में प्रमुख फसलों में से एक है।
- बीघा भूमि की मात्रा मापने के लिए एक मात्रक है और यह राज्यों के आधार पर भिन्न होता है।
- गेहूं से अन्न के साथ-साथ अन्य खाद्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं।
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